वट पूजा कोरोना वायरस के चलते घरों में ही रहकर की ।


न्यूज़ रिपोर्ट - रमाकांत त्रिपाठी ।

आज दिनांक 22 मई 2020 को कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन के चलते में  वट पूजा घरों में ही रहकर की  -
इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। व्रत रखने वालों को मां सावित्री और सत्यवान की कथा पढ़ना या सुनना जरूरी होता है।

सावित्री व्रत की संपूर्ण व्रत कथा और पूजा विधि यहां देखें

वट सावित्री व्रत कथा:
यह व्रत करने से सौभाग्यवती महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती है और उनका सौभाग्य अखंड रहता है।
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को वट सावित्री व्रत के नाम से जाना जाता है। कई जगह ये उपवास ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखे जाने का विधान है। इस दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों व पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। व्रत रखने वालों को मां सावित्री और सत्यवान की इस पवित्र कथा को सुनना जरूरी माना गया है।
वट सावित्री व्रत कथा के अनुसार सावित्री के पति अल्पायु थे, उसी समय देव ऋषि नारद आए और सावित्री से कहने लगे की तुम्हारा पति अल्पायु है। आप कोई दूसरा वर मांग लें। पर सावित्री ने कहा- मैं एक हिन्दू नारी हूं, पति को एक ही बार चुनती हूं। इसी समय सत्यवान के सिर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी। सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने गोद में पति के सिर को रख उसे लेटा दिया। उसी समय सावित्री ने देखा अनेक यमदूतों के साथ यमराज आ पहुंचे है। सत्यवान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं। यह देख सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल देती हैं।
उन्हें आता देख यमराज ने कहा कि- हे पतिव्रता नारी! पृथ्वी तक ही पत्नी अपने पति का साथ देती है। अब तुम वापस लौट जाओ। उनकी इस बात पर सावित्री ने कहा- जहां मेरे पति रहेंगे मुझे उनके साथ रहना है। यही मेरा पत्नी धर्म है। सावित्री के मुख से यह उत्तर सुन कर यमराज बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने सावित्री को वर मांगने को कहा और बोले- मैं तुम्हें तीन वर देता हूं। बोलो तुम कौन-कौन से तीन वर लोगी।
अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है वट सावित्री व्रत, जानिए पूजा की पूरी विधि-
तब सावित्री ने सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी, ससुर का खोया हुआ राज्य वापस मांगा एवं अपने पति सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वर मांगा। सावित्री के यह तीनों वरदान सुनने के बाद यमराज ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा- तथास्तु! ऐसा ही होगा। सावित्री पुन: उसी वट वृक्ष के पास लौट आई। जहां सत्यवान मृत पड़ा था। सत्यवान के मृत शरीर में फिर से संचार हुआ। इस प्रकार सावित्री ने अपने पतिव्रता व्रत के प्रभाव से न केवल अपने पति को पुन: जीवित करवाया बल्कि सास-ससुर को नेत्र ज्योति प्रदान करते हुए उनके ससुर को खोया राज्य फिर दिलवाया।


तभी से वट सावित्री अमावस्या और वट सावित्री पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करने का विधान है। यह व्रत करने से सौभाग्यवती महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती है और उनका सौभाग्य अखंड रहता है, ऐसी मान्यता है।
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Milan Tomic

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