आगरा - सवांददाता ।
आगरा में कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ का निधन हो गया। कोरोना वायरस की महामारी में पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। पत्रकारों का भी परिवार कहता है। कि आपको ऐसा खतरनाक काम करने की क्या जरूरत है। लेकिन पत्रकारों को जनता तक खबरें पहुंचा कर खुशी मिलती है। पिछले 2 महीनों से भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहे है। पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों तक खबरें पहुंचा रहे हैं। जैसे पहले पहुंचा रहे थे। पत्रकारों के भी परिवार हैं और इनके परिवार वाले यह पूछते हैं। क्या आप लोग बाकी लोगों की तरह घर में रहकर काम नहीं कर सकते। क्या घर में रहकर वीडियो बनाकर लोगों तक नहीं भेज सकते। लेकिन पत्रकार यह कहता है कि आप लोग अपने घर पर रहिए, हम बाहर रहकर आप लोगों के लिए काम करेंगे। यह सब कुछ पत्रकार किसी पुरस्कार के लालच में नहीं करता, पैसे के लालच में नहीं करता है। वह काम करता है जनता के लिए, देश के लिए, समाज के लिए, लेकिन इतना सब करने के बाद भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए हैं। आज राज्य सरकार ने डॉक्टरों के बाद अन्य कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाया है। इसमें कोरोना से बचाव के कार्य में लगे स्वास्थ्य कर्मियों सफाई कर्मियों सुरक्षाकर्मियों शासन की तरफ से तैनात अधिकारियों सहित हर कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा की व्यवस्था की गई है। लेकिन इसमें पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है। इस समय पत्रकार भी अपनी जान जोखिम में डालकर देश एवं समाज में अपनी खबरों के माध्यम से जानकारियां देने का काम कर रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार या राज्य सरकारों ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ना तो कोई कानून बनाया और ना ही किसी पत्रकार की मृत्यु के पश्चात उनके परिवार वालों को किसी भी तरह का मुआवजा देने का आश्वासन दिया है। कोरोना के खिलाफ इस जंग में डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मियों एवं सुरक्षाकर्मियों के साथ पत्रकार भी फ्रंट लाइन में आकर कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे हैं। बड़े संस्थानों में काम करने वाले पत्रकार भी इस बात के लिए चिंतित हैं। कि यदि कोरोना वायरस की महामारी में किसी पत्रकार संक्रमण के कारण जीवन समाप्त हो जाता है। तो उसका संस्थान या सरकार उनके परिवारों के लिए क्या करेगी। यह बहुत गंभीर विषय है। देश एवं दुनिया तक खबरें पहुंचाने वाला पत्रकार खुद को जला कर दूसरों को रोशनी देने का काम करता है लेकिन सरकार को इसकी परवाह नहीं है। कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहे पत्रकारों के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को इनकी सुरक्षा के साथ-साथ उनकी मृत्यु के पश्चात उनके परिवारों को मुआवजा या उनके परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। अब वक्त आ गया है कि जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाने वाले पत्रकार को अब अपने हितों की लड़ाई लड़नी होगी। सरकारों द्वारा कई बार खोखले आश्वासन दिए गए। लेकिन अभी तक किसी भी पत्रकार की मृत्यु पर उनके परिवारों को कोई मुआवजा या सरकारी नौकरी नहीं दी गई।

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