शराब दुकानों व भट्टी का इस कोरोना संक्रमण काल में 4 -मई -2020 से खोलने का निर्णय मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा
शराब हमारे लिए अति आवश्यक नहीं है, कुछ को छोड दो तो ज्यादतर परिवार इससे दुखी ही है ।
- नुकसान -
(1) देश मे लॉक डाउन के कारण मजदूरो के पास वैसे ही रोजगार नही है । शराब दुकान खोले जाने से देश मे भुखमरी को स्थिति निर्मित हो सकती है ।
(2) जिस उत्साह व लगन से आम आदमी व सामाजिक संगठन, लोगो को पका भोजन व अनाज उपलब्ध करा रहे है उनमें भी शराब दुकानें खुलने से निराशा है ।
(3) घरेलू हिंसा बढ़ने की प्रबल संभावना है ।जिसके कारण कानून व व्यवस्था पर भी विपरीत प्रभाव के साथ साथ दबाव बढ़ेगा ।
(4) सोचिए अगर कोई कोरोना पॉजिटिव शराब पी कर बाजार /पब्लिक प्लेस में उल्टी कर देता है तो परिस्थितिया कितनी भयावह होगी कल्पना करें ।
(5) शराब पीने वाला व्यक्ति जो भी थोड़े बहुत पैसे है वो नशे में खर्च कर देगा , घर मे रोटी दूध के पैसे नही , बजट बिगड़ जाएगा ,घर घर मे तनाव बढ़ने लगेगा ।
इन सब बातों की जिम्मेदारी कौन लेगा , ये देखना सरकार का काम है
क्या सड़क पर नंगा करेगी और अब सरकार
शराब दुकानों का इस करना संकट की घड़ी में पुनः खोले जाना इस बात का घोतक है हमारे देश मे राज्य सरकारें कितनी इरिस्पॉसिबल है।
जो केवल आसान राजस्व के लालच में सारे मानव जीवन को कोरोना संक्रमण की ओर पुनः धकेल रही है।
*शराब दुकाने खोलने के निर्णय को तुरंत वापस लिया जाना चाहिये ।
*इस संबंध में माननीय सुप्रीम कोर्ट को तत्काल स्वयं संज्ञान लेना चाहिए ।
साथ ही केंद्र सरकार को भी जिन राज्य ने इस लॉक डाउन के परिस्थितियों में भी शराब दुकान व बार खोलने का निर्णय लिया है उनकी कोरोना राहत राशि को तत्काल प्रभाव से रोक देना चाहिए जब तक वे शराब दुकानों को पुनः बंद नही कर देते है।
फिर पाबंदियाँ क्यूँ लगाई जाती हैं शराब पर राज्यों में ।
0 comments:
Post a Comment