*तूफानों से भी यूं गुज़र जाएंगे*
*हम रेत नहीं जो बिखर जाएंगे*
---------------------
गुजरेगा जब-जब हमसे,
पतझड़ का जमाना ।
हम बहारों की तरह,
फिर से निखर जाएंगे ।।
हम रेत नहीं जो... ...
बहते रहेंगे चट्टानों के बीच से,
नदी के नीर की तरह ।
फिर एक दिन बनकर,
सागर की लहरें उमड़ आएंगे ।।
हम रेत नहीं जो... ...
होती रहें बारिशें जितनी,
चाहे छाया हो धुंध घना ।
बनकर सतरंगी इन्द्रधनुष,
क्षितिज पर हम संवर जाएंगे ।।
हम रेत नहीं जो... ...
बढ़ते रहेंगे, घटते रहेंगे,
चंद्र की कलाओं की तरह ।
फिर एक दिन बनकर,
सूर्य की किरणें प्रखर आएंगे ।।
हम रेत नहीं जो... ...
- मनीषा श्रेयसी
*हम रेत नहीं जो बिखर जाएंगे*
---------------------
गुजरेगा जब-जब हमसे,
पतझड़ का जमाना ।
हम बहारों की तरह,
फिर से निखर जाएंगे ।।
हम रेत नहीं जो... ...
बहते रहेंगे चट्टानों के बीच से,
नदी के नीर की तरह ।
फिर एक दिन बनकर,
सागर की लहरें उमड़ आएंगे ।।
हम रेत नहीं जो... ...
होती रहें बारिशें जितनी,
चाहे छाया हो धुंध घना ।
बनकर सतरंगी इन्द्रधनुष,
क्षितिज पर हम संवर जाएंगे ।।
हम रेत नहीं जो... ...
बढ़ते रहेंगे, घटते रहेंगे,
चंद्र की कलाओं की तरह ।
फिर एक दिन बनकर,
सूर्य की किरणें प्रखर आएंगे ।।
हम रेत नहीं जो... ...
- मनीषा श्रेयसी

0 comments:
Post a Comment