- कहो कवि -
अनुराग भरे भावों की अभिव्यक्ति
या मूक मर्म की वाणी हूँ
कहो कवि मैं प्रेम काव्य हूँ
अथवा करुण कहानी हूँ?
स्नेह भरे क्षण को स्मृत कर
अधरों पर जाता जो बिखर
या विछोह की पीड़ा से
नयनों में आता जो उतर
वही मधुर मुस्कान हूँ मैं
या फिर दृग का पानी हूँ?
कहो कवि मैं प्रेम काव्य हूँ
अथवा करुण कहानी हूँ?
सुख की संपूर्णता हूँ मैं
या असीम दुख हूँ
जीवन का शाश्वत आकर्षण
या मृत्यु - मुख हूँ
तुम्हारी नीरसता की चेरी
या उल्लासों की रानी हूँ?
कहो कवि मैं प्रेम काव्य हूँ
अथवा करुण कहानी हूँ?
लेखिका -
चंचल मिश्रा ।
अनुराग भरे भावों की अभिव्यक्ति
या मूक मर्म की वाणी हूँ
कहो कवि मैं प्रेम काव्य हूँ
अथवा करुण कहानी हूँ?
स्नेह भरे क्षण को स्मृत कर
अधरों पर जाता जो बिखर
या विछोह की पीड़ा से
नयनों में आता जो उतर
वही मधुर मुस्कान हूँ मैं
या फिर दृग का पानी हूँ?
कहो कवि मैं प्रेम काव्य हूँ
अथवा करुण कहानी हूँ?
सुख की संपूर्णता हूँ मैं
या असीम दुख हूँ
जीवन का शाश्वत आकर्षण
या मृत्यु - मुख हूँ
तुम्हारी नीरसता की चेरी
या उल्लासों की रानी हूँ?
कहो कवि मैं प्रेम काव्य हूँ
अथवा करुण कहानी हूँ?
लेखिका -
चंचल मिश्रा ।
0 comments:
Post a Comment