अन्नदाता की है दुर्गति भारी
तुम घर में बैठे पीटो तारी
गेहूँ सगरो है खेत सुखाने
मजदूरों आवै अब न बुलाने
चीज जान से है कोई प्यारी?
तुम घर में बैठे पीटो तारी
कोरोना ने मारा पेट भरे
और भूख से कितने दीन मरे
शहर गाँव का है आभारी
तुम घर में बैठे पीटो तारी
स्वाद भरा टमाटर लालमलाल
सड़ गए ढ़ेरों कोरोना साल
खाओगे कैसे तुम तरकारी
तुम घर में बैठे पीटो तारी
खलिहान न गेहूँ कट के आया
घर ने अन्न न एक है पाया
खाओगे कैसे तुम सोहारी
तुम घर में बैठे पीटो तारी
सुषमा शैली
तुम घर में बैठे पीटो तारी
गेहूँ सगरो है खेत सुखाने
मजदूरों आवै अब न बुलाने
चीज जान से है कोई प्यारी?
तुम घर में बैठे पीटो तारी
कोरोना ने मारा पेट भरे
और भूख से कितने दीन मरे
शहर गाँव का है आभारी
तुम घर में बैठे पीटो तारी
स्वाद भरा टमाटर लालमलाल
सड़ गए ढ़ेरों कोरोना साल
खाओगे कैसे तुम तरकारी
तुम घर में बैठे पीटो तारी
खलिहान न गेहूँ कट के आया
घर ने अन्न न एक है पाया
खाओगे कैसे तुम सोहारी
तुम घर में बैठे पीटो तारी
सुषमा शैली

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