-- एक कविता --
दिल में क्या है वो कुछ बताते भी नहीं
छुपते भी नहीं , सामने आते भी नहीं
बसें हैं दिल में किसी ख्वाब की मानिन्द
हाथ नहीं आते, दिल से जाते भी नहीं
कुछ तो बतायें वो मुंतज़र दिल को
अपनाते भी नहीं, इसे ठुकराते भी नहीं
गिरेगीं कैसे यह खामोशीयों की दीवारें
खुद नहीं मानते, हमें मनाते भी नहीं
वीरां न हों जायें ' सपना ' ख्वाबों के महल
वो तोड़ते भी नहीं, इन्हें सजाते भी नहीं
सपना अग्रवाल ।
~°~°~°~°~°~°~°~°~°~°~
दिल में क्या है वो कुछ बताते भी नहीं
छुपते भी नहीं , सामने आते भी नहीं
बसें हैं दिल में किसी ख्वाब की मानिन्द
हाथ नहीं आते, दिल से जाते भी नहीं
कुछ तो बतायें वो मुंतज़र दिल को
अपनाते भी नहीं, इसे ठुकराते भी नहीं
गिरेगीं कैसे यह खामोशीयों की दीवारें
खुद नहीं मानते, हमें मनाते भी नहीं
वीरां न हों जायें ' सपना ' ख्वाबों के महल
वो तोड़ते भी नहीं, इन्हें सजाते भी नहीं
सपना अग्रवाल ।
~°~°~°~°~°~°~°~°~°~°~
0 comments:
Post a Comment