मुझसे बात करने का, वो कोई बहाना था...
गर मुझसे इश्क था, तो मुझको बताना था...
क्यों छुपाती हो मुझसे, दिल के जज्बात तुम...
यह जमाना और है, वो और जमाना था...
मुझसे रूठती हो ,मुझको बगैर बतलाए ..
आज मुझसे मिल जाना ,मुझे तुम्हें मनाना था...
आंखों के लिफाफे में, भेजती हो शब्दों को...
इस खत को लेकर के ,तुमको खुद आना था...
मेरे घर से आती है ,महक मोगरे की...
तुम समझो ना समझो, मुझे घर का पता बताना था...
तुम चुपचाप बैठी रही, मेरे सामने रात भर...
सुबह उठते ही मुझे, तुम्हें ढूंढने जाना था...
मैं नासमझ हूं, ये मैं खूब समझता हूं...
अगर बात जरूरी थी, तो तुमको समझाना था...
मेरी बेतुकी बातों पर, तुम मुस्कुरा भर देती हो...
तुम खुलके खिलखिला लो, मुझे तुम्हें हंसाना था ।
✍️ लेखिका -
डॉ. ऋतु ।
गर मुझसे इश्क था, तो मुझको बताना था...
क्यों छुपाती हो मुझसे, दिल के जज्बात तुम...
यह जमाना और है, वो और जमाना था...
मुझसे रूठती हो ,मुझको बगैर बतलाए ..
आज मुझसे मिल जाना ,मुझे तुम्हें मनाना था...
आंखों के लिफाफे में, भेजती हो शब्दों को...
इस खत को लेकर के ,तुमको खुद आना था...
मेरे घर से आती है ,महक मोगरे की...
तुम समझो ना समझो, मुझे घर का पता बताना था...
तुम चुपचाप बैठी रही, मेरे सामने रात भर...
सुबह उठते ही मुझे, तुम्हें ढूंढने जाना था...
मैं नासमझ हूं, ये मैं खूब समझता हूं...
अगर बात जरूरी थी, तो तुमको समझाना था...
मेरी बेतुकी बातों पर, तुम मुस्कुरा भर देती हो...
तुम खुलके खिलखिला लो, मुझे तुम्हें हंसाना था ।
✍️ लेखिका -
डॉ. ऋतु ।
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