दिन है अधुरे तुम बीन
रात है अधूरी
मेरे जीवन के हर मोड़ पर
तुम बिन मुलाकात है अधुरी
धड़कऩो के हर साँस मे
नाम तुम्हारा है
साँसे तो चलती है मेरी !!
पर उसमे जान तुम्हारा है
धुप हो या छाव मेरे मनमीत
सहारा तुम्हारा हम ढुंढ़ते है
जब भी मन उदास होता मेरा
बाहे तुम्हारी हम ढूंढते है
मेरे लिखे शब्दो को तुम मीत
मेरा वजूद ना समझ लेना
मै जितना लिख नही पाता
तुम उससे ज्यादा मुझे
कही अंधेरो मे महसूस कर लेना
हर शाम अंधेरी तुम बीन
नजर आती है
रौशनी का तो पता नही ??
दिपक हवा के झोके से
बुझ सी जाती है
आकर कभी मेरे जीवन मे
तुम उजाला कर दो
हमे देकर सुबह की नई किरण
मेरे जीवन का सहारा कर दो
तलब उठती है हर पल
तुम्हे पा लेने की
कर अपना इजहार तुमसे
अपना बना लेने की
दिल मेरा बैठ सा जाता है
बाते तुमसे जब होती है
दूर होने की
एक अजीब सी मन मे चुभन
दिल को जला जाती है
ज्यादा कुछ ना कहती तुमसे
तुम्हे गैरो की बतला जाती है
क्या लिख दू मै कि तुम मेरी हो जाओ??
देकर अपने सारे गम
तुम मुझमे ही सिमट जाओ
समुन्दर सा गहरा प्रेम अथाह मेरा
साथ तुम्हारे चलूंगा
जीवन के हर पथ पर वचन है मेरा
तुम गीत कोई गाकर मुझको सुना देना
झुर्रिया भी मै तुम्हारी चुमूंगा
तुम उस उम्र का वादा भी कर लेना
देकर अपने लबों की हँसी
हम तुम्हे सँवार देंगे
सारी उम्र बनकर रहेंगे तुम्हारे
तुम पर जीवन वार देंगे ।
लेखिका -
मनोरमा सिंह ।
रात है अधूरी
मेरे जीवन के हर मोड़ पर
तुम बिन मुलाकात है अधुरी
धड़कऩो के हर साँस मे
नाम तुम्हारा है
साँसे तो चलती है मेरी !!
पर उसमे जान तुम्हारा है
धुप हो या छाव मेरे मनमीत
सहारा तुम्हारा हम ढुंढ़ते है
जब भी मन उदास होता मेरा
बाहे तुम्हारी हम ढूंढते है
मेरे लिखे शब्दो को तुम मीत
मेरा वजूद ना समझ लेना
मै जितना लिख नही पाता
तुम उससे ज्यादा मुझे
कही अंधेरो मे महसूस कर लेना
हर शाम अंधेरी तुम बीन
नजर आती है
रौशनी का तो पता नही ??
दिपक हवा के झोके से
बुझ सी जाती है
आकर कभी मेरे जीवन मे
तुम उजाला कर दो
हमे देकर सुबह की नई किरण
मेरे जीवन का सहारा कर दो
तलब उठती है हर पल
तुम्हे पा लेने की
कर अपना इजहार तुमसे
अपना बना लेने की
दिल मेरा बैठ सा जाता है
बाते तुमसे जब होती है
दूर होने की
एक अजीब सी मन मे चुभन
दिल को जला जाती है
ज्यादा कुछ ना कहती तुमसे
तुम्हे गैरो की बतला जाती है
क्या लिख दू मै कि तुम मेरी हो जाओ??
देकर अपने सारे गम
तुम मुझमे ही सिमट जाओ
समुन्दर सा गहरा प्रेम अथाह मेरा
साथ तुम्हारे चलूंगा
जीवन के हर पथ पर वचन है मेरा
तुम गीत कोई गाकर मुझको सुना देना
झुर्रिया भी मै तुम्हारी चुमूंगा
तुम उस उम्र का वादा भी कर लेना
देकर अपने लबों की हँसी
हम तुम्हे सँवार देंगे
सारी उम्र बनकर रहेंगे तुम्हारे
तुम पर जीवन वार देंगे ।
लेखिका -
मनोरमा सिंह ।
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