--वंदे मातरम भाग -6--
गीत लबों पर रख लो यारों,
गीत वही हर दम दोहराएंगे।
जान हथेली पर हैं रखते आये,
हम वंदे मातरम गीत ही गाएंगे।।
हाथ जोड़ कर रहा हूँ विनय,
देश प्रेम रख मन मे लय भारी।
आप सभी हो भारत भूमि तनय,
बनो सभी भारत मां के सुत आज्ञाकारी।।
जूझ रहा है देश आपदा से,
कुछ लोग अब औकात दिखाएंगे।
महामारी की अचरज दुविधा में,
भ्रष्टाचार कालाबाजारी फैलायेंगे।।
माना ये देश नही है, बस मेरा,
मैं थोप रहा हूँ तुम पर इल्ज़ाम नही।
कुछ लाज शर्म तो रख लो अब भी,
क्या देश प्रेम तुम्हारा ईमान नही।।
ये विपदा इतनी भी बड़ी नही यारों,
जितना डोल रहा तुम्हरा ईमान है।
देश प्रेम की अलख जगाने आया हूं,
वंदे मातरम लबों पर मेरे सुबहा शाम है।।
कुछ सोच विचार कर लो अब आगे,
किस हद तक तुमको जाना है।
कर्तव्य, त्याग का रिश्ता आज निभाना है,
औकात दिखाओगे या वंदे मातरम गाना है।
दीन दुखी और विकल,
सेवाप्रण वो क्यों भूल गए।
विद्यार्थी जीवन के पाठ,
युवा तरुणाई में भूल गए।।
तुम कर्तव्य पथ से भटक रहे,
इतने भी तो ना तुम नादान हुए।
धन्य भाग्य थे वो वीर सपूत,
जो देश प्रेम में बलिदान हुए।।
नहीं है अब कोई गांधी सुभाष
नही दिख रहे भगत और आज़ाद।
ये देश अब तुम्हारे हवाले है,
रखना लाज तुम्हे है प्यारे आज।।
देश हित मे बढ़कर आगे,
कर्तव्य पथ पर डटे रहो।
देश प्रेम की पावन धारा में,
अविरल यूँ ही हरदम बहे रहो।
मैं गीत लबों पर जब भी लाऊं,
तुम वंदे मातरम कहे रहो।
भारत माता की जय जय करके,
देश प्रेम भाव दिलों में भरे रहो।।
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखक -
अनुराग कुमार मिश्रा "द्वारिकेश"
शिवराजपुर, सतना (मध्यप्रदेश)
गीत लबों पर रख लो यारों,
गीत वही हर दम दोहराएंगे।
जान हथेली पर हैं रखते आये,
हम वंदे मातरम गीत ही गाएंगे।।
हाथ जोड़ कर रहा हूँ विनय,
देश प्रेम रख मन मे लय भारी।
आप सभी हो भारत भूमि तनय,
बनो सभी भारत मां के सुत आज्ञाकारी।।
जूझ रहा है देश आपदा से,
कुछ लोग अब औकात दिखाएंगे।
महामारी की अचरज दुविधा में,
भ्रष्टाचार कालाबाजारी फैलायेंगे।।
माना ये देश नही है, बस मेरा,
मैं थोप रहा हूँ तुम पर इल्ज़ाम नही।
कुछ लाज शर्म तो रख लो अब भी,
क्या देश प्रेम तुम्हारा ईमान नही।।
ये विपदा इतनी भी बड़ी नही यारों,
जितना डोल रहा तुम्हरा ईमान है।
देश प्रेम की अलख जगाने आया हूं,
वंदे मातरम लबों पर मेरे सुबहा शाम है।।
कुछ सोच विचार कर लो अब आगे,
किस हद तक तुमको जाना है।
कर्तव्य, त्याग का रिश्ता आज निभाना है,
औकात दिखाओगे या वंदे मातरम गाना है।
दीन दुखी और विकल,
सेवाप्रण वो क्यों भूल गए।
विद्यार्थी जीवन के पाठ,
युवा तरुणाई में भूल गए।।
तुम कर्तव्य पथ से भटक रहे,
इतने भी तो ना तुम नादान हुए।
धन्य भाग्य थे वो वीर सपूत,
जो देश प्रेम में बलिदान हुए।।
नहीं है अब कोई गांधी सुभाष
नही दिख रहे भगत और आज़ाद।
ये देश अब तुम्हारे हवाले है,
रखना लाज तुम्हे है प्यारे आज।।
देश हित मे बढ़कर आगे,
कर्तव्य पथ पर डटे रहो।
देश प्रेम की पावन धारा में,
अविरल यूँ ही हरदम बहे रहो।
मैं गीत लबों पर जब भी लाऊं,
तुम वंदे मातरम कहे रहो।
भारत माता की जय जय करके,
देश प्रेम भाव दिलों में भरे रहो।।
लेखक -
अनुराग कुमार मिश्रा "द्वारिकेश"
शिवराजपुर, सतना (मध्यप्रदेश)
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