व्यंग्य
अगले जनम मोहे कुत्ता बनाना।
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मुहल्ले के एक झोलाछाप बाबा ने किसी को भी न बताने की हिदायत के साथ मिसेज शर्मा को बताया कि यदि तेजी से जाते हुए सौन्दर्य को बचाना है तो तुरन्त प्रभाव से मेरा बताया हुआ यह टोटका अपनाईए ,
नित्य प्रति सुबह-शाम बिना नागा काले कुत्ते को दूध पिलाईए।
मिसेज शर्मा ने यह बात किसी को न बताने की हिदायत के साथ मिसेज वर्मा को बताई मिसेज वर्मा ने स्त्रियोचित यही प्रक्रिया दोहराई।कानों-कान खबर नहीं हुई और बात पूरे मुहल्ले में पसर गई।
शाम को मिल्क बूथ पर महिलाओं की लम्बी कतार थी।सभी के सिर पर सबसे सुन्दर दिखने की धुन सवार थी। इसीलिए जल्दी से जल्दी काले कुत्ते को दूध पिलाने के लिए बेकरार थी।चिर यौवना बने रहने की होड़ में
पोती और दादी,बहू और सास,माँ और बेटी सभी शामिल थीं इस दौड़ में।
सौन्दर्य जीवी महिलाएँ क्रमवार दूध का पैकेट खरीदतीं,हेयर क्लिप से उसे फाड़तीं और पास रखे बड़े से डिब्बे में उड़ेलती जा रही थी कहीं काले की जगह सफेद या भूरा कुत्ता दूध न पी जाए इसका खास खयाल अपने सगे पतियों से रखवा रहीं थीं।
एक युवती का तीन महीने का बच्चा बेचैन हो रहा था।भूख के मारे बुक्का फाड़कर रो रहा था। युवती झुंझलाकर बोली तेरे आने से मेरे फिगर का जो रायता फैला है उसे पहले सुधार लूं । बेबी तुझे बाद में सम्हालूंगी पहले काले कुत्ते को तो सम्हाल लूं।
एक अधेड़ महिला ने डिब्बे में दूध डाला। कुत्ता सूंघकर चला गया। उसने पूछा ये क्या हुआ?
मिल्क बूथ वाले ने बताया कि मैडम ये राजधानी के कुत्ते हैं ठाठ से जीते हैं। मलाई निकला हुआ नहीं केवल फुल क्रीम दूध ही पीते हैं।
एक दिन बहुत ढ़ूंढ़ने पर भी काले कुत्ते नहीं मिल रहे थे। ऐसा लगता था जैसे मुहल्ले का छोटा बड़ा,तन्दरुस्त मरियल प्रत्येक कुत्ता खो गया था।पूछने पर पता चला कि रोज़ भारी मात्रा में दूध पी पीकर कुत्तों को अजीर्ण हो गया था।
कुत्ते इतनी दहशत में आ गए थे कि किसी महिला के हाथ में दूध का पैकेट देखते ही थर-थर काँपने लगते थे , उल्टे पांव भाग जाते थे। कितना भी ढ़ूंढ़ो फिर दूर दूर तक नजर नहीं आते थे।
सुन्दरता कायम रखने के इस नायाब टोटके की लोकप्रियता से काले कुत्तों की डिमांड आसमान छूने लगी ।डिमांड के अनुपात में सप्लाई थी कम। महिलाओं ने बना डाला स्वयंभू नियम।उसी मिल्कबूथ से दूध खरीदा जाएगा जिसका मालिक दूध पिलाने के लिए काले कुत्ते उपलब्ध कराएगा।मिल्क बूथ का मालिक इतने कुत्ते कहाँ से लाता जिनका रंग हो काला। उसने रास्ता निकाला।वो गिरते पड़ते बाबा के पास जाकर बोला बाबा गरीब जान के मुझको न युं भुला देना तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना। बाबा ने कहा अच्छा
जिसका कोई नहीं उसका ये बाबा है बच्चा।
मत घबराओ।सौ रुपए प्रति घण्टे के हिसाब से काले कुत्ते हमारी कुटिया से ले जाओ।और मजे से कारोबार चलाओ।
बाबा ने अपनी कुटिया के पीछे सफेद कुत्तों को रंगवाकर काला बनाने की फैक्ट्री लगा ली थी। एक ओर महिलाओं के ह्रदय में सबसे सुन्दर दिखने की जबरदस्त चाह जगाई
फिर काले कुत्तों को प्रतिदिन दूध पिलाने की युक्ति सुझाई फिर सौ रुपए प्रति कुत्ते के हिसाब से स्वयं ही काले कुत्तों की करने लगा सप्लाई।
सबसे सुन्दर दिखने के लिए
काले कुत्ते को दूध पिलाने की होड़ सारे रिकॉर्ड तोड़ रही थी दूसरी ओर बाबा की कुटिया से सौ रुपया प्रति घण्टे के हिसाब से कुत्ता सप्लाई हो रही थी।
इसे कहते हैं बीमारी की पैकेज डील।वन विन्डो सिस्टम । बीमारी और उसका इलाज दोनों एक साथ बेचने का
दम ।
देश के नेता तो बरसों से यही कर रहे हैं।काला सफेद करके सात पीढ़ियों तक के लिए अपना घर भर रहे हैं। झोलाछाप बाबा भोले-भाले लोगों की भावनाओं से खेल रहे हैं।इनकी तो पाँचो उंगलियाँ घी में और सिर कढ़ाई के तेल में है। ये अलग बात है कि इनमें से एकाध आजकल जेल में है।
सुन्दर बने रहने की चाह ने महिलाओं को इतना कर दिया है बावला कि वे रात दिन, सुबह दोपहर शाम सुन्दरता बचाने में व्यस्त हैं और उनके घरवाले बेचारे भूख प्यास से त्रस्त हैं। जहाँ से जो जो नुस्खे पता चलते हैं वो सब काम में लाती हैं।जाने कौन-कौन से ब्यूटी प्रोडक्ट्स आजमाती हैं।बकरी की मींगणियाँ, छिपकली का तेल,सूअर के बाल,गेंडे की खाल और चारकोल तक चेहरे पर चिपकाती हैं। सबसे सुन्दर दिखने की चाहत पागलपन की हदें इस कदर पार कर चुकी है कि इन सौन्दर्य पिपासुओं के भूखे प्यासे अस्त व्यस्त हुए पति भगवान से प्रार्थना करने लगे हैं कि हे भगवान
ऐसी लुगाई किसी को न दिलाना या
अगले जनम मोहे कुत्ता बनाना।
डॉ. कीर्ति काले
नई दिल्ली ।
अगले जनम मोहे कुत्ता बनाना।
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मुहल्ले के एक झोलाछाप बाबा ने किसी को भी न बताने की हिदायत के साथ मिसेज शर्मा को बताया कि यदि तेजी से जाते हुए सौन्दर्य को बचाना है तो तुरन्त प्रभाव से मेरा बताया हुआ यह टोटका अपनाईए ,
नित्य प्रति सुबह-शाम बिना नागा काले कुत्ते को दूध पिलाईए।
मिसेज शर्मा ने यह बात किसी को न बताने की हिदायत के साथ मिसेज वर्मा को बताई मिसेज वर्मा ने स्त्रियोचित यही प्रक्रिया दोहराई।कानों-कान खबर नहीं हुई और बात पूरे मुहल्ले में पसर गई।
शाम को मिल्क बूथ पर महिलाओं की लम्बी कतार थी।सभी के सिर पर सबसे सुन्दर दिखने की धुन सवार थी। इसीलिए जल्दी से जल्दी काले कुत्ते को दूध पिलाने के लिए बेकरार थी।चिर यौवना बने रहने की होड़ में
पोती और दादी,बहू और सास,माँ और बेटी सभी शामिल थीं इस दौड़ में।
सौन्दर्य जीवी महिलाएँ क्रमवार दूध का पैकेट खरीदतीं,हेयर क्लिप से उसे फाड़तीं और पास रखे बड़े से डिब्बे में उड़ेलती जा रही थी कहीं काले की जगह सफेद या भूरा कुत्ता दूध न पी जाए इसका खास खयाल अपने सगे पतियों से रखवा रहीं थीं।
एक युवती का तीन महीने का बच्चा बेचैन हो रहा था।भूख के मारे बुक्का फाड़कर रो रहा था। युवती झुंझलाकर बोली तेरे आने से मेरे फिगर का जो रायता फैला है उसे पहले सुधार लूं । बेबी तुझे बाद में सम्हालूंगी पहले काले कुत्ते को तो सम्हाल लूं।
एक अधेड़ महिला ने डिब्बे में दूध डाला। कुत्ता सूंघकर चला गया। उसने पूछा ये क्या हुआ?
मिल्क बूथ वाले ने बताया कि मैडम ये राजधानी के कुत्ते हैं ठाठ से जीते हैं। मलाई निकला हुआ नहीं केवल फुल क्रीम दूध ही पीते हैं।
एक दिन बहुत ढ़ूंढ़ने पर भी काले कुत्ते नहीं मिल रहे थे। ऐसा लगता था जैसे मुहल्ले का छोटा बड़ा,तन्दरुस्त मरियल प्रत्येक कुत्ता खो गया था।पूछने पर पता चला कि रोज़ भारी मात्रा में दूध पी पीकर कुत्तों को अजीर्ण हो गया था।
कुत्ते इतनी दहशत में आ गए थे कि किसी महिला के हाथ में दूध का पैकेट देखते ही थर-थर काँपने लगते थे , उल्टे पांव भाग जाते थे। कितना भी ढ़ूंढ़ो फिर दूर दूर तक नजर नहीं आते थे।
सुन्दरता कायम रखने के इस नायाब टोटके की लोकप्रियता से काले कुत्तों की डिमांड आसमान छूने लगी ।डिमांड के अनुपात में सप्लाई थी कम। महिलाओं ने बना डाला स्वयंभू नियम।उसी मिल्कबूथ से दूध खरीदा जाएगा जिसका मालिक दूध पिलाने के लिए काले कुत्ते उपलब्ध कराएगा।मिल्क बूथ का मालिक इतने कुत्ते कहाँ से लाता जिनका रंग हो काला। उसने रास्ता निकाला।वो गिरते पड़ते बाबा के पास जाकर बोला बाबा गरीब जान के मुझको न युं भुला देना तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना। बाबा ने कहा अच्छा
जिसका कोई नहीं उसका ये बाबा है बच्चा।
मत घबराओ।सौ रुपए प्रति घण्टे के हिसाब से काले कुत्ते हमारी कुटिया से ले जाओ।और मजे से कारोबार चलाओ।
बाबा ने अपनी कुटिया के पीछे सफेद कुत्तों को रंगवाकर काला बनाने की फैक्ट्री लगा ली थी। एक ओर महिलाओं के ह्रदय में सबसे सुन्दर दिखने की जबरदस्त चाह जगाई
फिर काले कुत्तों को प्रतिदिन दूध पिलाने की युक्ति सुझाई फिर सौ रुपए प्रति कुत्ते के हिसाब से स्वयं ही काले कुत्तों की करने लगा सप्लाई।
सबसे सुन्दर दिखने के लिए
काले कुत्ते को दूध पिलाने की होड़ सारे रिकॉर्ड तोड़ रही थी दूसरी ओर बाबा की कुटिया से सौ रुपया प्रति घण्टे के हिसाब से कुत्ता सप्लाई हो रही थी।
इसे कहते हैं बीमारी की पैकेज डील।वन विन्डो सिस्टम । बीमारी और उसका इलाज दोनों एक साथ बेचने का
दम ।
देश के नेता तो बरसों से यही कर रहे हैं।काला सफेद करके सात पीढ़ियों तक के लिए अपना घर भर रहे हैं। झोलाछाप बाबा भोले-भाले लोगों की भावनाओं से खेल रहे हैं।इनकी तो पाँचो उंगलियाँ घी में और सिर कढ़ाई के तेल में है। ये अलग बात है कि इनमें से एकाध आजकल जेल में है।
सुन्दर बने रहने की चाह ने महिलाओं को इतना कर दिया है बावला कि वे रात दिन, सुबह दोपहर शाम सुन्दरता बचाने में व्यस्त हैं और उनके घरवाले बेचारे भूख प्यास से त्रस्त हैं। जहाँ से जो जो नुस्खे पता चलते हैं वो सब काम में लाती हैं।जाने कौन-कौन से ब्यूटी प्रोडक्ट्स आजमाती हैं।बकरी की मींगणियाँ, छिपकली का तेल,सूअर के बाल,गेंडे की खाल और चारकोल तक चेहरे पर चिपकाती हैं। सबसे सुन्दर दिखने की चाहत पागलपन की हदें इस कदर पार कर चुकी है कि इन सौन्दर्य पिपासुओं के भूखे प्यासे अस्त व्यस्त हुए पति भगवान से प्रार्थना करने लगे हैं कि हे भगवान
ऐसी लुगाई किसी को न दिलाना या
अगले जनम मोहे कुत्ता बनाना।
डॉ. कीर्ति काले
नई दिल्ली ।

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