🌙 *उल्टा चाँद*💫
******************
"कल वो बोले-
चाँद आज उल्टा निकला है
क्या तुमने देखा..?
मैंने मुस्कराते हुये कहा-
जबसे तुम्हें देखा है मेरे चाँद..!
आसमां के चाँद को गौर से
देखा ही कहाँ है..?
वो चाँद तो निकलता और छुपता है
जानेमन..!
और एक तुम हो
जो मेरे ह्र्दयाकाश में
ऐसे जगमगाते हो
कि ये आसमां का चाँद भी
शर्मिंदा है।
✍🏻- डॉ. लता "स्वरांजलि"
******************
"कल वो बोले-
चाँद आज उल्टा निकला है
क्या तुमने देखा..?
मैंने मुस्कराते हुये कहा-
जबसे तुम्हें देखा है मेरे चाँद..!
आसमां के चाँद को गौर से
देखा ही कहाँ है..?
वो चाँद तो निकलता और छुपता है
जानेमन..!
और एक तुम हो
जो मेरे ह्र्दयाकाश में
ऐसे जगमगाते हो
कि ये आसमां का चाँद भी
शर्मिंदा है।
✍🏻- डॉ. लता "स्वरांजलि"

0 comments:
Post a Comment