जिंदगी अब जिंदगी होने लगी ।
दुश्मनों से दोस्ती होने लगी ।।
आज तन्हा से लगे हर रास्ते;
हर तरफ तेरी कमी होने लगी ।
जब कभी भी अक्स अपना देखती ;
आइनों को बेकली होने लगी ।
रात दिन तकती रही रस्ता तेरा ;
इश्क की मैं वो गली होने लगी।
याद भी तेरी मचाती शोर तब;
रात जब जब ये घनी होने लगी ।
पूछना मत इंतिहां अब जुर्म की ;
रौशनी में तीरगी होने लगी ।
इश्क खुद से ही हुआ जब से ''सुमन''
हर किसी की बन्दगी होने लगी ।
सुमन जैन ''सत्यगीता''
दुश्मनों से दोस्ती होने लगी ।।
आज तन्हा से लगे हर रास्ते;
हर तरफ तेरी कमी होने लगी ।
जब कभी भी अक्स अपना देखती ;
आइनों को बेकली होने लगी ।
रात दिन तकती रही रस्ता तेरा ;
इश्क की मैं वो गली होने लगी।
याद भी तेरी मचाती शोर तब;
रात जब जब ये घनी होने लगी ।
पूछना मत इंतिहां अब जुर्म की ;
रौशनी में तीरगी होने लगी ।
इश्क खुद से ही हुआ जब से ''सुमन''
हर किसी की बन्दगी होने लगी ।
सुमन जैन ''सत्यगीता''

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