उर्दू है मेरा नाम मै ख़ुसरो की पहेली
मै मीर की हमराज़ ग़ालिब की सहेली...
ढक्कन के वली ने मुझे गोदी मे खिलाया
सौदा के कसीनो ने मेरा हुस्न बढ़ाया..
है मीर की अज़मत के मुझे चलना सिखाया
मै दाग के आगन मे खिली बनके चमेली...
ग़ालिब ने बुलंदी का सफ़र मुझको दिखाया
हाली ने मुरव्वत का सबक याद दिलाया ..
इक़बाल ने आईना-ए-हक़ मुजको दिखाया
मोमिन ने सजाई मेरे खवाबो की हवेली..
है जोक की अज़मत के दिए मुझको सहारे
जाग-बस्त की उलफत ने मेरे खवाब सावारे..
फानी ने सज़ाए मेरी पलकों पे सितारे
अकबर ने रचाई मेरी बे-रंग हथेली..
क्यू मुझको बनाते हो तासूब का निशाना
मैने तो कभी तो खुद को मुसलमा नही माना..
देखा था कभी मैने भी खुशियो का ज़माना
अपने ही वतन मे हू मगर आज अकेली..
उर्दू है मेरा नाम मै ख़ुसरो की पहेली
मै मीर की हमराज़ ग़ालिब की सहेली..
.
SAWARNIM GUPTA
मै मीर की हमराज़ ग़ालिब की सहेली...
ढक्कन के वली ने मुझे गोदी मे खिलाया
सौदा के कसीनो ने मेरा हुस्न बढ़ाया..
है मीर की अज़मत के मुझे चलना सिखाया
मै दाग के आगन मे खिली बनके चमेली...
ग़ालिब ने बुलंदी का सफ़र मुझको दिखाया
हाली ने मुरव्वत का सबक याद दिलाया ..
इक़बाल ने आईना-ए-हक़ मुजको दिखाया
मोमिन ने सजाई मेरे खवाबो की हवेली..
है जोक की अज़मत के दिए मुझको सहारे
जाग-बस्त की उलफत ने मेरे खवाब सावारे..
फानी ने सज़ाए मेरी पलकों पे सितारे
अकबर ने रचाई मेरी बे-रंग हथेली..
क्यू मुझको बनाते हो तासूब का निशाना
मैने तो कभी तो खुद को मुसलमा नही माना..
देखा था कभी मैने भी खुशियो का ज़माना
अपने ही वतन मे हू मगर आज अकेली..
उर्दू है मेरा नाम मै ख़ुसरो की पहेली
मै मीर की हमराज़ ग़ालिब की सहेली..
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SAWARNIM GUPTA

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