निराशा से आशा की ओर एक प्रेरणादायी बेहतरीन प्रयास - सामाजिक दर्पण

ग्वालियर ।

गालव ऋषि की तपोभूमि से संचालित सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन की संस्थापिका एवम संचालिका शकुन्तला तोमर है। इसका 

मुख्य उद्देश्य सामाजिक अभिव्यक्ति शिक्षा समाज साहित्य संस्कार एवं संस्कृति से संबंधित विचार एवं गतिविधियों का सृजन करना है सामाजिक मुद्दे बच्चों में युवाओं में समाज साहित्य और भाषा में रुचि संस्कृति लोक कला लोक गीत संगीत का संरक्षण तीज त्यौहार हमारी परम्परायें रीति रिवाज एवम संस्कार निर्माण हेतु विचार और कैंपेन एवं सामाजिक परिवेश में व्याप्त समस्याओं (बच्चो स्त्री बुजुर्गों से सम्बंधित मुद्दों)पर चर्चा कोई विशेष कार्य हेतु प्रोत्साहन और सुधार समाधान हमारा लक्ष्य।

इसी उद्देश्य में कदम बढ़ाते हुए कोरोना काल मे लाइव प्रस्तुति के काव्यसंगम के महाकुंभ में निराशा से आशा की ओर एक प्रयास में भाग लेने वाले साहित्यकार वरिष्ठ कवि एवं गीतकारा राजकुमार रंजन जी आगरा उत्तरप्रदेश से एक से बढ़कर एक मधुर प्रस्तुति के साथ सारगर्भित संदेश प्रेषित किये,वरिष्ठ शायरा एवं कवियित्री मधु मधुमन जी पटियाला से शानदार गजल और गीतों के साथ पधारीं,सुप्रसिद्ध कवयित्री प्रमिला शर्मा जी उदयपुर भीलवाड़ा से मेवाड़ी मिट्टी की वीरता स्वाभिमान की ओज पूर्ण मधुर प्रस्तुति के साथ आनंदित किया।कवि एवं कलाकार संजय कुमार अम्बष्ट पटना से,नवोदित कवयित्री साधना तिवारी जी सतना से,कवयित्री रेखा श्रीवास्तव जी भोपाल मध्यप्रदेश से अपनी शानदार सहज सरल प्रस्तुति दी वहीं लोकगीतकार सुनीता सैनी  गुड्डी जी एवं कवि विजेंद्र सैनी जी बैंगलोर से पधारे दोनो की जुगल बंदी कविताओं और लोकगीतों से सबका मन मोह लिया।कवि विनय शर्मा दीप जी जौनपुर उत्तरप्रदेश से सवैया प्रस्तुति दी।व्यंग्य कवि एवं साहित्यकार डीग भरतपुर राजस्थान से कवि सोहनलाल शर्मा 'प्रेम'जी एक से बढ़कर एक गीत मुक्तक कविताओं की प्रस्तुति से सबको बांधे रखा।कवयित्री एवं शिक्षिका विनीता सिंह परिहार जी सतना से सपनी मधुर और अनूठी विशिष्ट प्रस्तुति मातृ दिवस को समर्पित करते हो शानदार काव्यपाठ किया। वहीं नोएडा से सविता सिंह समा जी ने सबके लिए प्रार्थना करते हुए सुन्दर अभिव्यक्तियों से सराबोर कर दिया।


हम कलमकारों का मन सदा साहित्य को समर्पण,

उसी प्रतिबिम्ब में उतरने का नाम तो है ये सामाजिक दर्पण ।

समाज मे कोई भी घटित घटनाएँ हों या फिर व्यथित संवेदनाएं हों,

उतार लेते है शीशाये दर्पण में हम,

 रख कर थोड़ा धैर्य और संयम

उसी समर्पण का नाम तो है सामाजिक दर्पण।

    --सविता सिंह 'शमा'


फिर गया सभी मंसूबों पर पानी,

जब छोड गयी साँसे गुड़िया रानी ।

हम कहते रहे पढ़ाओ बेटी को

हम कहते रहे बचाओ बेटी है

धिक्कार हमें हमको न शरम आयी

खिलने से पहले कलिका मुरझायी

-- डॉ राजकुमार रंजन 


मेवाड़ी माटी का कण कण गर्जन करता मान की।

मातृभूमि हित पर मर मिटने परवाह न की जान की।।

     -प्रमिला शर्मा 


इस वबा को ज़वाल दे या रब 

आयी मुश्किल को टाल दे या रब

घिर गयी है भँवर में नाव मेरी 

इसको बाहर निकाल दे या रब

      -मधु मधुमन 


समाज के लिए उठो समाज की कड़ी हैं हम

समाज एक सुमन तो समाज की पंखुड़ी हैं हम

 -- कवि विनय शर्मा 'दीप'


कुछ तो कुर्बान कर इस वतन के लिए

रोशनी बनके जी हर नयन के लिए

कोख का कर्ज जिसने चुकाया यहाँ

शीश अनगिन झुकेंगे नमन के लिए

--सोहनलाल शर्मा 'प्रेम'


माँ तेरा ही रूप हूँ मैं खुद का अभिनंदन करूँ

माँ मेरा सौभाग्य है हर पल तेरा वन्दन करूँ।

   --विनीता सिंह परिहार


जल्द ही चमकेगा भारत

सूरज की नई किरणों से

फिर संडे का होगा इंतज़ार

खत्म होगा लम्बा अवकाश

 --- रेखा श्रीवास्तव

पटल की संस्थापिका शकुन्तला तोमर जी विशेष सहयोगी के रूप में सीता चौहान जी अमिता शुक्ला जी एवं धर्मेन्द्र सिंह तोमर जी ने सभी का वक्ताओं,श्रोतागणों, काव्यानुरागियों का कोटि कोटि आभार व्यक्त किया।

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Milan Tomic

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