फरीदाबाद ।
मनुष्य के लिए तो हर तरह की सुख सुविधाएं मौजूद हैं । कहीं न कहीं विपत्ति जनक परिस्थितियों में देर सवेर कोई सुनने को इंसान की समस्याओं को सुलझाने के लिए तो कोई ना कोई तैयार हो जाता है लेकिन पशु - पक्षियों के ऊपर आने वाली विपत्ति को सुनने वाले बहुत कम लोग होते हैं। इस मामले में फरीदाबाद की प्रीति दुबे अपने जीवन को समर्पित कर पशु पक्षियों की प्राण रक्षा करने में लगी है। अभी कल उनको कहीं से समाचार मिला कि एक कुत्तिया के पेट में मरे हुए दो बच्चे फंस गए हैं और वह दर्द से व्याकुल मौत से जूझ रही है ।
अभी हाल में ही "राष्ट्रीय समाज सेवा रत्न से पुरस्कृत" पीपल फॉर एनिमल यूनिट-2 के अध्यक्षा प्रीति दुबे को जब यह जानकारी हुई तो उस कुत्तिया को बचाने के लिए बिना देर किए निकल पड़ी। लेकिन संजोग से उनके पास अपने डॉक्टर के अनुपस्थिति के कारण तत्काल ऑपरेशन नहीं व्यवस्था कर पाई। डॉक्टर के प्रबंधन में कई घंटे गुजर गए उधर कुत्तिया मौत से जूझ रही थी। अगले दिन बड़ी मशक्कत के बाद स्थानीय पशु चिकित्सक, डॉ रघुवीर सिंह डगर के स्थानीय अस्पताल में होने की जानकारी मिली। प्रीति ने फौरन संपर्क किया और डॉक्टर पीएफए के शेल्टर पर आनन-फानन में ऑपरेशन की व्यवस्था किया और कुत्तिया के प्राण बचा लिए। प्रीति पीड़ा से तड़प रही कुत्तिया का प्राण बचाकर बहुत खुश हैं और उसके सेवा में जुट गई है।
उनकी सबसे बड़ी खुशी यह भी है कि किसी सरकारी डॉक्टर ने आकर उनका सहयोग किया। इससे वह बहुत ही प्रभावित है। प्रीति जहां डॉक्टर को दुआएं दे रही हैं वहीं उन्हें कह रही हैं ऐसे पशु प्रेमी एवं प्रतिभावान सरकारी डॉक्टर पूरे देश के हर अस्पताल पर होने चाहिए जो कभी भी विपत्ति आने पर निरीह और लावारिस पशुओं प्राण रक्षा कर सकें। प्रीति ने बताया कि अब यह कुत्तिया उनके शेल्टर पर 2 महीने तक रहेगी जिस की बेहतरीन देखभाल कर उसे स्वस्थ होने के बाद फिर उसी स्थान पर छोड़ दिया जाएगा ।
प्रीति दुबे का फाइल फोटो
यह बता दें कि प्रीति को अभी पिछले हफ्ते समाज सेवा तथा पशु कल्याण के बेहतरीन सेवा के लिए एक और पुरस्कार -"राष्ट्रीय समाज सेवा रत्न" से नवाजा गया है। यह पुरस्कार प्रीति को इस साल मिलने वाले पुरस्कारों में चौथा पुरस्कार है।
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