शून्य, शहर और सन्नाटा - सत्यनारायण चतुर्वेदी

 

तासीम अहमद - संपादक

पटना - सत्यनारायण चतुर्वेदी ।

आज पूरा देश शून्य की ओर बढ़ता दिखाई पड़ रहा है और देश के शहरों में सर्वत्र सन्नाटा पसरा हुआ है।वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर अब तक मौत का सिलसिला जारी है और लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये पिछले बर्ष 22 मार्च से अब तक लॉकडाउन की प्रक्रिया जारी है,जिसके कारण हर लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और विशेषकर गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों को काफी सितम झेलना पड़ रहा है तथा गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोग भुखमरी के कागार पर पहुंच गये हैं।कोरोना संक्रमण के कारण शहर और क़स्बों में लोग एक दूसरे से मिलने से भी कतरा रहे हैं।गांव या शहर,विद्यालय या महाविद्यालय,न्यायालय या प्रशासन,चोक-चौराहा या बाजार,धार्मिक स्थान हो या प्रतिष्ठान सर्वत्र शून्य और सन्नाटे का दौर कायम है।प्राकृतिक कोई भी आपदायें हो उससे निबटने के लिये आपसी सदभाव,भाईचारे,प्रेम और सहयोग का होना नितांत आवश्यक है तथा प्राकृतिक आपदाकाल में आपसी रंजिश,ईर्ष्या-द्वेष,राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता को भूल कर मानव सेवा में लोगों को एकजुटता दिखाना चाहिये।क्योंकि सभी धर्मों का सारतत्व "नर सेवा नारायण सेवा है" बर्षों पूर्व में विश्व विभूति स्वामी विवेकानन्द के शिकागो में दिये गये प्रवचन आज सत्य प्रतित होता दिखाई दे रहा है,उन्होंने अपने प्रवचन में कहा था कि शून्य से शुरू और शून्य पर अंत होने बाली दुनिया ही नही बल्कि मानव मात्र भी है।बहीं प्रख्यात भविष्यवक्ता नेस्त्रेदमस की भविष्यवाणियां भी वर्तमान में सत्य होता दिखाई दे रहा है,क्योंकि भविष्यवक्ता नेस्त्रेदमस की की गई भविष्यवाणियां भी अब तक शत-प्रतिशत सत्य होता आया है।दरअसल चाहे कोई भी दल हो या सामाजिक संगठन हो सबका लक्ष्य तो "नर सेवा नारायण सेवा ही है।"बहरहाल इन दिनों पूरे देश दुनिया के लोग फैले वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के भय से भयाक्रांत हैं और ऐसे विषम परिस्थिति में हर मानव को एक दूसरे को सहयोग कर काल के गाल में जाने से बचाना ही निष्पक्षता,पारदर्शिता और ईमानदारी है। प्रायः सभी धर्मग्रन्थों एवं सभी धर्मों के धर्मानुयायियों का भी कथन है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय लोगों को मानवता और इंसानियत का परिचय देते हुये एक दूसरे को हर संभव सहयोग करना ही सच्चा धर्म और मानव धर्म है।प्राकृतिक आपदाओं के समय में ही निष्पक्षता एवं पारदर्शिता से लेखक एवं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकार को भी मानव धर्म का पालन करने और सही दिशा-निर्देशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहिये।देश के हर जिम्मेवार नागरिकों को अपनी मानसिकता को स्वच्छ रखकर अपनी बुध्दिमत्ता का परिचय देना चाहिये।क्योंकि इन दिनों कोरोना संक्रमण जैसे प्राकृतिक आपदाओं को लेकर गांव-शहर में चारों ओर शून्य और सन्नाटा पसरा है और हर लोग दहशत में हैं।यह संदेश देश-दुनिया के कोने-कोने तक में जाना निहायत जरूरी है।

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Milan Tomic

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