निराशा के दौर में आशा की किरण दिखाता सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन

तासीम अहमद - संपादक ।

ग्वालियर ।

गालव ऋषि की तपोभूमि से संचालित सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन की संस्थापिका एवम संचालिका शकुन्तला तोमर जी है। इसका 

मुख्य उद्देश्य सामाजिक अभिव्यक्ति शिक्षा समाज साहित्य संस्कार एवं संस्कृति से संबंधित विचार एवं गतिविधियों का सृजन करना है सामाजिक मुद्दे बच्चों में युवाओं में समाज साहित्य और भाषा में रुचि संस्कृति लोक कला लोक गीत संगीत का संरक्षण तीज त्यौहार हमारी परम्परायें रीति रिवाज एवम संस्कार निर्माण हेतु विचार और कैंपेन एवं सामाजिक परिवेश में व्याप्त समस्याओं (बच्चो स्त्री बुजुर्गों से सम्बंधित मुद्दों)पर चर्चा कोई विशेष कार्य हेतु प्रोत्साहन और सुधार समाधान हमारा लक्ष्य।

इसी उद्देश्य में कदम बढ़ाते हुए कोरोना काल मे उदासी के माहौल में मन को कुछ समय ऐसे डाइवर्ट कर दिया जाए कि सब कुछ पल आनंद और चिंतामुक्त रह सकें। लाइव प्रस्तुति के द्वारा सकारात्मक संदेश देती हुई चर्चा एवं काव्यपाठ महाकुंभ में एक से बढ़कर एक मधुर प्रस्तुति के साथ सारगर्भित ऊर्जा से ओतप्रोत काव्यपाठ एवं चर्चाओं में

जबलपुर से कवयित्री करुणा दुबे जी गहराई से नारी विमर्श पर शानदार काव्यपाठ किया। 

माँ क्यों कहती है ये आंगन मेरा अपना नही पराया है

जिसकी सौंधी खुशबू ने मेरे तन मन को महाकाया है


भरतपुर राजस्थान से पन्ना पुखराज जी ने विभिन्न विधाओं और ग्रामीण परिवेश के भावों की अभिव्यक्तियों से सराबोर कर दिया।

अनुपम छटा देख मेरे प्यारे गांव के

पायलिया बाज रही गोरी के पांव की

हरे भरे खेत और पीपल की छइयां

छइयां में खेल रहे किसान के कन्हैया

खेतों में बह रहा पसीना कुँढ़ कुँढ़ से बोला

मेरी ही मेहनत से उड़ता उनका उड़न खटोला


दिल्ली से गुस्ताख़ हिंदुस्तानी जी ने एक से बढ़कर गजलें प्रस्तुत की

गुनाह है प्रेम तो मैं काफ़िर होता जाता हूँ

मैं जितना पिन्हा होता हूँ उतना जाहिर होता जाता हूँ।


कोलकाता से कवयित्री रेखा ड्रोलिया जी ने अनेक समसामयिक यथार्थ प्रस्तुतियों से कोरोना काल मे प्रेरित कर सार्थक संदेश प्रेषित किया

 सुनो क्या कह रहा पल

समय कर रहा हम सबसे छल

डर दरखे जीना पड़ रहा है आज

इर डर का न अंत है ना आगाज


गुरुग्राम हरियाणा से चांदनी केसरवानी जी ने 

शानदार प्रस्तुति दी

सच्चा प्रेम एक समर्पण है दिल मे दिखता एक दर्पण है

मोलभाव न होता प्रेम में दिल जब होता प्रेम में


टीकमगढ़ से साहित्यकार   बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी अनीता श्रीवास्तव जी ने शानदार अंदाज़ में लघु कथाओं और कविताओं से श्रोताओं को आनंदित कर दिया तथा कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की।

है तेरी दुहाई माई हो सदा सहाय तेरी अर्चना करूँ,

शीश धरूँ के तेरे चरणन की वंदना करूँ।

काम क्रोध मोह डस रहे है नाग बन

इनमें कितना विष है ये भी जानता है मन।

मुम्बई से अनामिका प्रवीन जी ने लघुकथा एवं कविताओं की अनुपम प्रस्तुति दी


प्रेम को चिरकाल तक

जिंदा रखना हो तो चाँद तारे नहीं

ना कोई ताजमहल का शो पीस देना

बस एक नन्हा पौधा देना, 

प्रेम का प्रतीक 

वही घना वृक्ष बनेगा और     

तुम्हारे प्रेम को सदियों तक जिंदा रखेगा।

 इसके साथ ही हास्यकवि श्रवण गुप्ता जी कानपुर से एवं बैंगलोर से आमन्त्रित लोक साहित्यकार सुनीता सैनी जी ने अपनी ढोलक की थाप और एक से बढ़कर एक लोक गीतों की बौछार से सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

पटल की संस्थापिका शकुन्तला तोमर जी एवं विशेष सहयोगी के रूप में सीता चौहान जी अमिता शुक्ला जी एवं धर्मेन्द्र सिंह तोमर जी ने सभी का वक्ताओं श्रोतागणों काव्यानुरागियों का कोटि कोटि आभार व्यक्त किया ।

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Milan Tomic

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