जीवनशैली - डॉ जानकी झा

 जीवनशैली


आज जीने की है अपनी-अपनी शैली

कोई रोज भोजन पकाता है

तू कोई रोज मांगकर खाता है

कोई दूसरे से छीन कर ले आता है

तो कोई अपना भोजन भी दूसरों को दे आता है

कोई सपनों की ऊंची ऊंची महल बनाता है

तो कोई जीने के लिए अपने महल को बेच आता है

कोई पानी के लिए जीवन को बेच आता है

तो जीवन के लिए पानी में डूब जाता है

कोई बिन मां का बच्चा रोता है

तो कोई अपनी ही मां को वृद्ध आश्रम में छोड़ आता है

कोई बन गांधी अहिंसा को अपनाता है

तू कोई देखो ओसामा बिन लादेन बन जाता है

कोई रोते हुए को हंसा कर मानवता दिखाता है

तू कोई छीन खुशी जीवन में मानव के अंधियारा लाता है

कोई आधुनिक होकर भी संस्कृति को अपनाता है

तो कोई पश्चिमी संस्कृति को देखकर सभ्यता तक भूल जाता

कोई शिक्षा ना पाकर जीवन भर रोता है

तो कोई शिक्षित होकर भी जीवन को जी नहीं पाता है

आंखों में भर कर बिस्तर तक नहीं पाता

तो कोई बिस्तर पाकर भी नींद में नहीं सो पाता है

कोई अनुशासन में रहकर जीवन में सफलता हासिल कर जाता है

तू कोई शिष्टाचार भूलकर अपने परिवार का नाम डुबो देता है

कोई कमाता है धन अपने परिवार के लिए

तू कोई अपनी जीवनशैली उन्नत बनाने के लिए

पर सुनो ए दोस्तों जीवन शैली कैसी होनी चाहिए

जो मर कर भी हमें अमर कर जाए

जो तुम तुम्हारी शैली देख दूसरों में संस्कार भर जाए

अपने जीवन में मानवता को अपनाकर जीवन शैली को अमर कर जाए

रही सकारात्मक और सकारात्मक जीवनशैली को अपनाए।।

डॉ जानकी झा

कवयित्री, अध्यापिका

कटक, ओडिशा

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Milan Tomic

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