एक शहीद की मौत मिले
शब्द जब मेरे कोरे कागज पर सजे
महादेवी सी पीर लिखे।
धैर्य की जब बनूँ परिभाषा
उर्मिला सा धीर मिले।
त्याग को जब अभिव्यक्त करूँ तो
हाड़ी रानी सा जज्बा मिले।
वीरांगना का जब तेज लिखूँ
रानी चेन्नम्मा की धार मिले।
प्रायश्चित जब उतारू शब्दों में
सुकन्या सा साहस मिले।
माँ के ममत्व को जब सजाऊँ
कौशल्या सा ठहराव मिले।
स्वाभिमान जब शब्दों में पिराऊँ
जोधा सा स्वाभिमान मिले।
प्रेम में जब समर्पण करूँ
मस्तानी सा हृदय मिले।
देश समर्पण में मुझको बस
एक शहीद की मौत मिले।
कवयित्री-
गरिमा राकेश गौत्तम
कोटा, राजस्थान
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