दिल्ली - सबीना खान
द लीगल राइट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया तथा योर माइंड ओपनर न्यूज़ नेटवर्क की तरफ से एक वेबनार का आयोजन किया गया। चर्चा का विषय था "लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा एवं मानसिक तनाव'' लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा की शिकायतों में हुई बढ़ोतरी, विदेश में भी यही हाल है महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के 6 साल में सबसे अधिक केस गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान जब ज्यादातर लोग घरों में बंद थे, राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली घरेलू हिंसा की शिकायतों की संख्या में 2019 के मुकाबले वृद्धि देखने को मिली। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में आयोग को घरेलू हिंसा से संबंधित 2,960 शिकायतें मिली थीं जबकि 2020 में 5,297 शिकायतें प्राप्त हुईं और यह सिलसिला अब भी बरकरार है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में आयोग को महिलाओं के विरुद्ध किए गए अपराध की कुल 19,730 शिकायतें मिलीं जबकि 2020 में यह संख्या 23,722 पर पहुंच गई।
लॉकडाउन खत्म होने के एक साल बाद भी आयोग को हर महीने महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दो हजार से अधिक शिकायतें मिल रही हैं जिनमें से लगभग एक चौथाई घरेलू हिंसा से संबंधित हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2021 से 25 मार्च 2021 के बीच महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की 1,463 शिकायतें प्राप्त हुईं।
पिछले साल कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था लेकिन इसके कारण घरेलू हिंसा की कई पीड़िताएं उनके साथ फंस गई थीं जो यह कृत्य करते हैं। लॉकडाउन लगाए जाने के बाद आयोग को घरेलू हिंसा की इतनी शिकायतें मिलने लगी थीं कि आयोग ने इसके लिए समर्पित एक व्हाट्सऐप नंबर की शुरुआत की थी।
घरेलू हिंसा बढ़ने के कई कारण आर्थिक असुरक्षा, तनाव का बढ़ता स्तर, घबराहट, वित्तीय चिंता के साथ परिवार से भावनात्मक सहयोग न मिलने के कारण भी ऐसे मामले बढ़े हैं। इस हालात में महिलाओं पर एक ही समय में दबाव बढ़ गया है।
वेबिनार में मुख्य रूप से दिल्ली के वरिष्ठ व् प्रमुख समाजसेवी राकेश शर्मा एवं ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण समिति दिल्ली, मुख्यमन्त्री आंगनवाडी निगरानी समिति के सदस्य व् दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश कुमार गुप्ता, कृष्णा शर्मा अध्यक्ष व् फाउंडर कृष्तारा दिव्या लौ ट्रस्ट, शारदा सिंघल ट्रस्टी उत्कृष्ट भारत, ज्योति खोसला उपाध्यक्ष वुमेन सेल उपस्थित थी ।
Good initiative
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