चंडीगढ़,31 जनवरी,(विजेश शर्मा)-
भारतीय सेना में परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च शौर्य सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था।
परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह (बाना सिंह) ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार मेजर बाना सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री की आठवीं रेजीमेंट में कार्यरत थे। वहीं रिटायर्ड ब्रिगेडियर हरचरन राष्ट्रीय भ्र्रष्टाचार नियंत्रण एवं जनकल्याण सङ्गठन के राष्ट्रीय सलाहकार सचिव (नागरिक सुरक्षा प्रकोष्ठ) की अगुवाई में मेजर बाना सिंह राष्ट्रीय भ्र्रष्टाचार नियंत्रण एवम जनकल्याण सङ्गठन का दामन थाम कर देश हित में अपना योगदान देने के लिए आगे आए हैं। वहीं सङ्गठन राष्ट्रीय मुख्य सचिव रंजीत वर्मा ने मेजर बाना को बधाई देते हुए कहा कि यह सङ्गठन ही नही अपितु समूचे देश के लिए गौरव की बात है कि ऐसे वीर योद्धा सेवानिवृत्त होने के बाद भी देश और समाज कल्याण के लिए अपना समय और अनुभव देने का प्रण लिया। वहीं उन्होंने बताया कि मेजर बाना सिंह को प्रेरक राष्ट्रीय स्वर्ण सदस्य के पद पर नियुक्त किया गया है। वहीं राष्ट्रीय चैयरमेन दीपक और राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती रेखा भूषण ने उन्हें बधाई दी।
0 comments:
Post a Comment