9 जनवरी 2021 - मां ध्यानमूर्ती जी संदेश ।

अनेक वर्षों से रोते हुए भक्त त्रिलोचन जी का बुरा हाल था।

आज रोते हुए भक्त त्रिलोचन, नामदेव जी से कहने लगे, नामदेव ! तुम तो मेरे मित्र हो ना !! फिर भी कितने निष्ठुर हो, 

 कितनी बार आपने परमात्मा का दर्शन किया है।

उसके बाद भी कभी उनसे यह नहीं कहा कि त्रिलोचन पर भी कृपा करें।

मेरे मन में कितनी इच्छाएं हैं परमात्मा मेरे घर आँए, मैं उनकी सेवा करूं।

क्या मेरी पुकार को परमात्मा नहीं सुनते है?

तब भक्त नामदेव हंसते हुए कहने लगे-- अरे भक्तराज !! ऐसा क्यों बोलते हो ?

मैं तो सिर्फ " नाम " की सुमरण करता हूं।

तुम तो परम् "सेवक"  हो । तुम्हारे पास जितना धन है, तुम संतों की सेवा में लगा देते हो।

संतो की प्रसन्नता में ही परमात्मा की प्रशंसा है।

तुम्हारे ऊपर तो संतो, महापुरुषों का आशीर्वाद है।

तुम योग्य हो, तभी तो गुरुदेव श्री ज्ञानदेव महाराज ने तुम्हें अपना शिष्य बनाया है। तुम मेरे गुरु भाई हो,  मुझे ऐसा उलाहना क्यों देते हो ?

तब भक्त त्रिलोचन जी रोते हुए कहने लगे, मैं कितने वर्षों से भगवान आपका इंतजार कर रहा हूं।

एक बार भी भगवान को ऐसा नहीं हुआ, वह मेरे घर भी दर्शन दें।

भक्त नामदेव जी कहने लगे, तुम विचार ना करो अब जब मेरा परमात्मा से मिलना होगा मैं उन्हें कहूंगा... 

त्रिलोचन भी आपको बहुत याद करता है, उसे दर्शन देकर कृतार्थ करें ... दिन व्यतीत होने लगे।

एक दिन नामदेव जी कहीं यात्रा पर जा रहे थे, मार्ग में रास्ता भटक गए।

अब मार्ग बताने वाला तो कोई था नहीं।

उस मार्ग के चौराहे पर एक मूर्ति स्थापित थी। अब नामदेव जी तो पूर्ण भगत थे।

किसी राजा की वह मूर्ति थी। उस मूर्ति को देखकर कहने लगे, वाह परमात्मा !! आज तो इतना सुंदर रूप बना रखा है, और मैं मार्ग में भटक गया हूं।

तुम यहां तलवार लेकर खड़े हो। जल्दी से बताओ, मैं किस ओर जाऊँ ? मुझे उस गांव में जाना है। तब उसका मार्ग कहां से पड़ेगा ?

कहते हैं, नामदेव जी की पुकार सुन जो राजा की मूर्ति थी उसमें से साक्षात परमात्मा प्रकट हो गये।

उस मूर्ति से निकलकर भक्त नामदेव जी को परमात्मा ने मार्ग दिखाया।

अब जैसे ही भक्त नामदेव जी अपने मार्ग की ओर बढ़ने लगे...

तब उन्हें याद आ गया कि, भक्त त्रिलोचन जी ने कहा था परमात्मा से पूछ कर रखना। मुझे दर्शन कब देंगे ?

नामदेव जी भगवान श्रीकृष्ण से कहने लगे, अरे रुकिए ! इतना जल्दी नहीं है जाने को ।

मेरी एक बात सुनिये, मेरा जो मित्र है "भक्त त्रिलोचन" वह आपका सच्चा भक्त है।

वह पूछ रहा था- कभी उसका भी भला करो। कभी उसको भी दर्शन दो।

भगवान कृष्ण ने हंसते हुए कहा, मैं उसके पास अवश्य जाऊंगा। बस उससे कहना मुझे पहचान ले। ऐसा कहकर भगवान अंतर्ध्यान हो गए।

नामदेव जी गांव की यात्रा कर, अपने गांव में पुनः लौट आये। और भक्त त्रिलोचन जी के घर आकर कहने लगे, तुम्हें एक अच्छी खबर देने आया हूं l।

आज मुझे परमात्मा के दर्शन  हुए, उन्होंने कहा है वह जल्दी ही तुम्हारे घर आएंगे। पर पहचानना तुम्हें ही पड़ेगा।

भक्त 'नामदेव' जी की बात सुनकर त्रिलोचन जी प्रसन्न हो गए। उनकी आंखों में खुशी के आंसू आने लगे।

कहने लगे --- परमात्मा मेरे पास चलकर आएँगे, इससे अच्छा मेरा सौभाग्य, सदभाग्य और क्या हो सकता है।

अपनी धर्मपत्नी को बुलाकर कहने लगे, तुम्हें पता है !! परमात्मा हमारे पास आने वाले हैं।

अब तुम जल्दी से तैयारी करना, उनकी अच्छे से सेवा करना, भगवान हमारे पास आएंगे।

अब संत तो बड़ी भारी मात्रा में भक्त त्रिलोचन जी के पास भंडारा खाने आते ही थे।

एक दिन त्रिलोचन भक्त की धर्मपत्नी जी ने कहा, इतनी अधिक मात्रा में संत हमारे पास आते हैं। कोई कर्मचारी हो तो काम बढ़िया हो जाए।

 कर्मचारी के बिना मैं अकेले सारा काम नहीं कर पाती। आप कुछ प्रयास करो, किसी नौकर को लेकर आओ, जो घर में मेरी सहायता करें।

आजकल नौकर मिलना कठिन हो गया है, और इमानदार नौकर मिलना तो और भी अधिक कठिन है पर मैं प्रयास करता हूं।

कोई मिल जाए तो उसे अवश्य लेकर आऊंगा। 

एक दिन प्रातः काल को भक्त त्रिलोचन जी संतो के भंडारे के लिए सब्जियां लेने गये।

तब उस सब्जी मंडी में एक नौजवान भागता हुआ भक्त त्रिलोचन जी के पास आकर कहने लगा, अरे सेठ जी !! मुझ पर दया करो।

भक्त जी ने पूछा, क्या करना है ???

कहा, महाराज !! मेरे पास खाने को कुछ नहीं है। पहनने के लिए कपड़े भी नहीं है। पर में काम करने में बड़ा होशियार हूं।

आप मुझे अपने पास नौकर रख लीजिए।

भक्त त्रिलोचन जी पूछने लगे, तुम्हें धन में क्या चाहिए ???

तब वह नौजवान कहने लगा, मुझे धन की आवश्यकता नहीं है। बस दो समय भरपेट भोजन खिला देना।

और मेरी एक शर्त है, मेरे बारे में किसी से भी कोई बुराई नहीं करना, बस। जिस दिन आपने मेरी बुराई कर दी, मैं आपके घर को छोड़ कर चला जाऊंगा।

भक्त जी ने पूछा, यह कैसी शर्त है। कोई तुम्हारी बुराई करें और तुम भाग जाओगे?

कहा, मेरी यही शर्त है। इसलिए कोई मुझे नौकरी पर रखता ही नहीं है।

अगर आप रखना चाहो तो मैं आपके पास आ सकता हूं।

त्रिलोचन जी विचार करने लगे, वैसे ही धर्म पत्नी ने कहा था, नौकर की आवश्यकता है और यह लगता भी ईमानदार है।

भक्त जी ने पूछा नाम क्या है ???

कहा, मेरा नाम "अंतर्यामी" है ।

कहा -- अंतर्यामी ???

कहा -- सब कुछ जानता हूं ।

कहा.. सब कुछ जानने का मतलब क्या है???

वह नौजवान कहने लगा, अरे गांव में इतने सालों से रहा हूं तो सबकी बातें जानता हूं।।आगे कल ।

राधे राधे।।

पंचांग

9 जनवरी 2021 

वार - शनिवार

तिथि- पौष कृष्ण पक्ष एकादशी

 त्योहार - सफला एकादशी

 चंद्रमा -वृश्चिक राशि में

 राहुकाल 9 से 10:30 a.m. 

दिशाशूल- पूर्व में ।

दुर्गा सप्तशती में महामारी नाश के लिए विशेष मंत्रों का यजन बताया गया है ।

गुप्त नवरात्रि 10 महाविद्याओं के पूजन का विशेष दिन माना जाता है इसी उपलक्ष में श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा 12 फरवरी 2021 से 21 फरवरी 2021 तक माँ ध्यान मूर्ति जी महाराज के मुखारविंद से श्रवण करें ।

लाइव सुबह 9:00 से 11:00 तक पूजन यज्ञ में सम्मिलित होने हेतु संपर्क करें 7830 8045 73,

94 12280 681 ,9399 001716

श्री भक्तमाल कथा 

व्यासपीठ - माँ ध्यान मूर्ति जी महाराज .

 दिनांक -- 22 फरवरी से 25 मार्च 2021 .

समय -सांय 1:00 बजे से 4:00 बजे तक.

 स्थान --वृन्दावन महाकुंभ मेला.

 आयोजक - श्री राधा रानी, सदगुरुदेव भगवान ,एवं आप सब भक्त प्रेमी जन ।।

आज 8 जनवरी 2021 साधु संतों की भोजन प्रसादी की सेवा   श्रीमती सुनीता अग्रवाल

श्री रतन अग्रवाल 

हासीमारा (वेस्ट बंगाल) की ओर से की गई है। हम श्री राधा रानी से आपके स्वास्थ्य और परिवार की खुशियों के लिए  मंगल कामनाएं करते हैं ।

 कोई भी कार्य करने में मेहनत तो लगती है और स्वाभाविक रूप से मेहनत का कष्टदायक ही होती है लेकिन जब मेहनत सेवा के रूप में करी जाती है तो कष्ट भी एक सुकून बन जाता है । जब लोग अपने घरों में सर्दी और गर्मी का आनंद ले रहे होते हैं तब हम यहां सुबह से ही इस तैयारी में लग जाते हैं कि हजारों संत महात्माओं को भोजन देना है- दाल भिगोए कि नहीं ?,सब्जी अमनिया हुई या नहीं ?

 कैलेंडर तो नहीं खत्म हो गया? बिजली तो नहीं चली गई ?

हर बात की चिंता रहती है ।

 और साथ साथ में  उसके बावजूद सैकड़ों असहाय, एक्सीडेंटल गौ माता और प्रत्येक जीव जंतु की दवाइयों की व्यवस्था करना ,डॉक्टरों को वहां पहुंचाना ।

 यमुना जी में पड़ी हुई गाय के शव को निकाल कर उचित अंतिम क्रिया करवा देना, सेवा है -- सुख भी है तो श्रम भी है ।

खुशी तब मिलती है जब सब का साथ होता है ।

निश्चित रूप से आप सबका साथ हमें प्राप्त है तभी तो हम हजारों संतो को रोज भोजन करा पाते हैं । और अब तक सैकड़ों- हजारों एक्सीडेंटल, असहाय जीवो का इलाज करवाने में सफल हुए हैं। राधा रानी की कृपा बनी रहे और आप इसी  प्रकार राधा रानी प्रसादम में,व, मां कृपा फाउंडेशन के सहयोगी बनते रहें ।

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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