सारे जहां के मालिक तेरा ही आसरा है
राजी हैं हम उसी में जिसमे तेरी रजा है : सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन
ग्वालियर ।
गालव ऋषि की तपोभूमि से संचालित सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन की संस्थापिका एवम संचालिका शकुन्तला तोमर जी है। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक अभिव्यक्ति शिक्षा समाज साहित्य संस्कार एवं संस्कृति से संबंधित विचार एवं गतिविधियों का सृजन करना है सामाजिक मुद्दे बच्चों में युवाओं में समाज साहित्य और भाषा में रुचि संस्कृति लोक कला लोक गीत संगीत का संरक्षण तीज त्यौहार हमारी परम्परायें रीति रिवाज एवम संस्कार निर्माण हेतु विचार और कैंपेन एवं सामाजिक परिवेश में व्याप्त समस्याओं (बच्चो स्त्री बुजुर्गों से सम्बंधित मुद्दों)पर चर्चा कोई विशेष कार्य हेतु प्रोत्साहन और सुधार समाधान हमारा लक्ष्य।
इसी उद्देश्य में कदम बढ़ाते हुए कोरोना काल मे उदासी के माहौल में मन को कुछ समय ऐसे डाइवर्ट कर दिया जाए कि सब कुछ पल आनंद और चिंतामुक्त रह सकें। लाइव प्रस्तुति के द्वारा सकारात्मक संदेश देती हुई चर्चा एवं काव्यपाठ महाकुंभ में एक से बढ़कर एक मधुर प्रस्तुति के साथ सारगर्भित ऊर्जा से ओतप्रोत काव्यपाठ एवं चर्चाओं में सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार उज्जैन मध्यप्रदेश से माया बधेका जी जिन्होंने अपने आत्मीय आध्यत्मिक विचारों के साथ कविताओं और कहानियों गीत से सारगर्भित संदेश दिया।
डॉ पंकज कुमार रुहेला जी नसीरपुर मुज्जफरनगर उत्तरप्रदेश से अपनी अपनी यथार्थपूर्ण संदेश देती हुई रचनाओं से सबको अद्भुत काव्य से जोड़ा।
सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार नागेन्द्र नाथ जी मुम्बई ठाणे से पधारकर पटल को गौरवान्वित किया।एक से बढ़कर एक सभी सारगर्भित विषयों पर यथार्थ समसामयिक रचनाओं की प्रस्तुति से श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए
तसल्ली है नही बस हड़बड़ी है।
मन का दर्पण बनना मुश्किल है
आसमान से गिरे खजूर पर लटके
सुप्रसिद्घ कवि गिरधारीलाल खंडेलवाल सीकरी भरतपुर से ओजस्वी वाणी में एक से बढ़कर एक गीत सवैया आल्हा देशप्रेम पर कविताएं और गीतों की प्रस्तुति दी।
मुसीबत में खड़ा जो वही भगवान है।
सुप्रसिद्ध कवयित्री अर्चना बामनगया ग्वालियर मध्यप्रदेश से अपने गीत गजल माहिया के साथ अनुपम प्रस्तुति दी
राम प्रतिमा नही राम प्रतिमान हैं।
सुप्रसिद्ध कवि विवेक कविश्वर जी दिल्ली से अपनी शानदार लेखनी व गीत गजलों से पटल को आनंदित कर दिया शानदार संदेश के साथ
घोर अंधियारा शाम धरे घटाटोप हो अंधियारी रात
पथिक खड़े रहना निश्चल वर्ना तुम पर होगा घात।
तेरी आँखों के काजल से आज नया एक गीत लिखूं
निर्बंध तरलता बहती हो ऐसा कोई संदेश लिखूं।
वही पटल पर जानी मानी कवियित्री एवम शायरा सोनिया अक्स जी पानीपत हरियाणा से उन्होंने अपनी गजलें और विचार इतनी बेबाकी से रखे कि सब उनके कायल हो गए
इतिहास के खंडहर में क्षत विक्षत है मानवता का शव,
सदियों सदियों का सन्नाटा उसमे लुप्त अनगिनत कंठो का शोर,
गुल कली खुशबू शबा चाहत का मंजर मैं ही मैं,
लम्स मेरा इस तरह शादाब रखता है मुझे
बून्द हूँ बारिश भी मैं दरिया समंदर मैं ही मैं।
छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश से अखिलेश जैन जी सुप्रसिद्ध गायक कलाकार अपनी मधुर सुरीली आवाज और बेहतरिन गीत गजलों की बौछार से कागज की कश्ती, लागा चुनरी में दाग,माँ तू कितनी भोली है तू ही दाता तू ही विधाता,तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना,सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
पटल की संस्थापिका शकुन्तला तोमर जी एवं विशेष सहयोगी के रूप में सीता चौहान जी अमिता शुक्ला जी एवं धर्मेन्द्र सिंह तोमर जी ने सभी का वक्ताओं श्रोतागणों काव्यानुरागियों का कोटि कोटि आभार व्यक्त किया।
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