ग्वालियर !
सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन के समृद्ध पटल पर दिनांक 01 जून 2021 से 7 जून 2021 तक विश्व पर्यावरण दिवस का साप्ताहिक आयोजन किया गया। जिसमे विचारकों कवि साहित्यकारों समाजसेवियों ने भाग लिया।
इस पटल की संस्थापिका एवं संचालिका श्रीमती शकुन्तला तोमर जी ग्वालियर से हैं विशिष्ट सहयोगी के रूप में आदरणीय धर्मेन्द्र सिंह तोमर सीता चौहान जी अमिता शुक्ला जी हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के साप्ताहिक आयोजन
कार्यक्रम का आगाज पटना से पधारे सुप्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार डॉक्टर रत्नेश्वर सिंह के द्वारा किया गया उन्होंने पर्यावरण से संबंधित बहु आयामी तथ्यों की ओर संकेत देते हुए कहा कि हम मनुष्यों को पेड़ पौधों फूल पत्तियों से सबक लेना चाहिए क्योंकि वृक्ष में लगने वाले फल को वृक्ष स्वयं उपयोग में नहीं लाता है बल्कि हमारे लिए ही वह फल देता है। इसी प्रकार जल के संबंध में, हवा के संबंध में ,जमीन के संबंध में, जंगल के संबंध में बहुत उपयोगी बातों की ओर संकेत देते हुए एक शेर के माध्यम से अपनी बात रखी
तुमको मालूम नहीं, पेड़ गिराने वालों
बेवजह कितने, परिंदों के घर टूट गए।
किस कदर टूटा है, रिश्तो का भरम मत पूछो
दिल तो दरका है, दुआओं के असर टूट गए।
सुप्रसिद्ध कवियत्री एवं शिक्षिका विनीता सिंह परिहार सतना मध्य प्रदेश से पधारी और अपने मधुर स्वर से पर्यावरण की विशेषता का उल्लेख करते हुए अनेकानेक सुंदर गीत गजल मुक्तक सुना कर पटल पर उपस्थित सभी रचना धर्मी मित्रों एवं श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दो जून सुप्रसिद्ध कवियित्री एवं गीतकार आदरणीया
तृप्ति वीरेंद्र गोस्वामी जोधपुर राजस्थान से पटल पर उपस्थित होकर पर्यावरण संरक्षण पर अपने सारगर्भित उद्बोधन एवं गीतों कविताओं के माध्यम से यह बताया पर्यावरण संरक्षण न केवल मनुष्य बल्कि प्राणी मात्र के लिए कितना आवश्यक है ।
वहीं भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति एवं साहित्य चिंतक लेखक एवं प्रवक्ता आदरणीय चंद्रशेखर शर्मा जी ग्वालियर से पधारे उन्होंने तथ्य पूर्ण विवेचना के आधार पर चारों युगों में केवल कलयुग में हम पर्यावरण की इतनी चिंता कर रहे हैं इसका एकमात्र कारण है की हम निरंतर प्रकृत के साथ छेड़छाड़ करते रहे हैं और प्रकृति उसी का बदला मनुष्य से लेती है उनके तर्कपूर्ण संबोधन में एक चुंबकीय आकर्षण था और यह संदेश भी कि अब अगर मनुष्य के अंदर चेतना जागृत नहीं होगी तो यह वातावरण में व्याप्त प्रदूषण उसे कहीं का नहीं छोड़ेगा ।
हिसार हरियाणा से पधारी सीमा हृदया ने बताया कि सिर्फ पेड़ ही नही पर्यावरण में पशु पक्षी भी इसका हिस्सा है उन मूक पशुओं के साथ भी उत्तम व्यवहार कर संरक्षित किया जाए। छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश से शिक्षिका एनिश नाथनील जी ने अंग्रेजी की काविता का हिंदी अनुवाद कर सारगर्भित वचन के साथ विभिन्न विचारों से जोड़ा तथा गीता सचदेव कपूर मेरठ उत्तर प्रदेश से सामाजिक दर्पण सोशल मिरर समृद्ध पटल पर पधार कर जल जंगल जमीन वायु के संरक्षण पर व्यापक चर्चा करते हुए एक से बढ़कर एक सुंदर सार्थक रचनाएं गीत सुनाई तथा लोगों के बीच जागरण का संदेश दी।
4 जून को एक भव्य और आकर्षक कार्यक्रम सामाजिक दर्पण की संस्थापिका आदरणीय शकुन्तला तोमर जी के कुशल तथा उत्कृष्ट संचालन में बच्चों के द्वारा पर्यावरण से संबंधित विभिन्न बिंदुओं और पक्षों को उजागर करती हुई प्रस्तुति हुई। जिसमे शकुन्तला तोमर द्वारा बताया गया कि 05 जून 1974 में पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया जिसका उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण में निजी सामाजिक और सरकारी भागीदारी तय कर समस्याओं पर विचार कर हल खोजकर क्रियान्वन हो सके। जिसमें आर्या, अमरुषा, आशी, राशि एवं कृति ने प्रतिभागी के रूप में भाग लिया प्रारंभ में सरस्वती वंदना मधुर स्वर में प्रस्तुत कर सभी बच्चियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया तथा पर्यावरण संरक्षण संबंधी अपने विचार व्यक्त किए। जिसमे आशी ने नीम के पेड़ की आत्मकथा से नीम के महत्व से परिचित करवाया अमरुशा ने चिपको आंदोलन का उदाहरण देकर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया।कृति ने नवीनीकरण स्रोतों और मैनेजमेंट पर बात की।वहीं राशि ने वाटर मैनेजमेंट में वाटर हार्वेस्टिंग का सुझाव दिया कचरा प्रबंधन करने को कहा, आर्या ने तो बिल्कुल मजे हुए वक्ता की तरह पर्यावरण के संबंध में अपने स्पस्ट विचार व्यक्त किए कि ये सब हमको ही करना है पटल पर उपस्थित सभी लोगों ने मुक्त कंठ से उसकी प्रशंसा किए मंच की संस्थापिका के गतिशील नेतृत्व में अत्यंत अनुशासित होकर सभी बच्चों ने शानदार प्रस्तुति दी।
बहुमुखी प्रतिभा एवं बहु आयामी व्यक्तित्व की धनी मंजुला श्रीवास्तव जी गाजीपुर उत्तर प्रदेश से पधार कर अपनी ओजस्विता का परिचय देते हुए पर्यावरण पर अपना बहुमूल्य विचार एवं रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
5 जून को मंच की संस्थापिका,संचालिका समाजसेवी,सोशल एक्टिविस्ट के रूप में अपनी पहचान बनाने में सक्षम और समर्थ आदरणीया शकुन्तला तोमर जी का पर्यावरण दिवस पर जानकारी देते हुए संरक्षण पर सुंदर सार्थक एवं सारगर्भित उद्बोधन दिया जिसमें जल वृक्ष फूल पत्तियों और कौन सा पौधा लगाने से हमें फायदा होगा पीपल बरगद नीम इमली बेल अस्सी प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेते है व धरती के तापमान को कम करते हैं और कौन सा पौधा है लगाने से नुकसान गुलमोहर नीलगिरी जैसे पेड़ घातक हैं घरों में तुलसी एलोवेरा गिलोय मनीप्लांट सदाबहार नींबू पपीता अवश्य लगाएं। पेड़ की आत्मकथा पर कुछ इसकी महत्वपूर्ण जानकारी दी कुछ फैक्ट्स तो आश्चर्यजनक थे मुम्बई की हवा में सांस लेना सौ सिगरेट पीने के बराबर है।वृंदावन सो वन नही ,मत कर तू अभिमान बीच-बीच में अत्यंत मधुर स्वर में भजन की प्रस्तुति ने सोने में सुगंध का कार्य किया । भजन गाते वक्त बिल्कुल भाव विह्वल हो गई, जिसको पटल पर उपस्थित सभी लोगों ने महसूस किया।
6 जून को सुप्रसिद्ध कवियत्री सीमा राठौर शैलजा राजस्थान से
पटल पर उपस्थित होकर अपनी सृजनात्मक क्षमता और बहुआयामी व्यक्तित्व का परिचय देते हुए पर्यावरण के बहुत से अनछुए पहलुओं पर व्यापक चर्चा की जैसे ओजोन परत के छेद और कोरोना महामारी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने का ही परिणाम है इस और स्पष्ट संकेत दिया।
इसी कड़ी में ख्याति लब्ध कवि एवं समाजसेवी डॉ पी सी आचार्य एसोसिएट प्रोफेसर पटल पर पधारे और अपनी ओजस्वी वाणी तथा सार्थक तर्क के बदौलत प्रदूषित पर्यावरण के खतरों की ओर स्पष्ट संकेत दिया दूषित जल दूषित खान पान पर्यावरण को दूषित करने में
अग्रणी भूमिका का निर्वाह करते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के साप्ताहिक आयोजन के अंतिम दिन यानी 7 जून को पर्यावरण पर केंद्रित अनेकानेक कार्यक्रम उद्बोधन कविता गीत गजल की छटा पटल पर बिखेरी गई और पर्यावरण के संबंध में जागरण का महत्वपूर्ण संदेश दिया गया।रीवा मध्य प्रदेश से पधारी कवियित्री पूजा मिश्रा ने बताया कि पेड़ो से न केवल ऑक्सीजन प्राप्त होता है बल्कि वही आधार हैं जीवन का हमारे यहां प्राकृतिक आपदाएं पिछले मई में ही दो बार आईं इसका प्रमुख कारण हम हैं यानी मनुष्य है पिछले दो वर्षों से केवल मनुष्य पर प्रतिबंध है यह सोचने का विषय है। इसके बाद अपने मधुर स्वर में कविताओं और गीतों से पर्यावरण संरक्षण के लिए अद्भुत संदेश देने का कार्य किया।
रीवा मध्य प्रदेश से ही सुप्रसिद्ध कवियत्री साधना तिवारी ने अपने अत्यंत मधुर एक से एक बढ़कर गीतों के माध्यम से पर्यावरण पर केंद्रित होकर संदेश दिये जिसे समृद्ध पटल हमेशा याद रखेगा।
इसके अतिरिक्त लखनऊ उत्तर प्रदेश से पधारी शिक्षिका एवं विचारक रीना त्रिपाठी ने बहुत सुंदर और सार्थक संबोधन देते हुए पर्यावरण दूषित होने पर मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है इसकी व्यापक चर्चा की आज भी यह मान्यता है कि गंगाजल चाहे जितना पुराना हो लेकिन वह खराब नहीं होता लेकिन आज गंगा इतना कूड़ा कचरा
हम मनुष्यों के द्वारा ही डाला जाता है जिसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है हमारा यह दायित्व है कि हम सरकार पर भी दबाव डालें तथा यह आग्रह करें कि जो भी योजना बनती है चाहे वह नमामि गंगे का हो चाहे स्वच्छता अभियान सबो पर हमारी जब तक नजर नहीं रहेगी पर्यावरण संरक्षण का कार्य भी अधूरा रहेगा अत्यंत सुंदर सार्थक उद्बोधन के द्वारा कई उदाहरण देकर पर्यावरण कैसे संरक्षित किया जाए इसके उपायों पर विस्तृत चर्चा की।
सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन ने यह अभूतपूर्व विश्व पर्यावरण दिवस का सप्ताहिक आयोजन कर तथा देश के कोने कोने से समीक्षकों, विचारकों, कवियों, गीतकारों को अपने पटल पर आमंत्रित कर पर्यावरण को कैसे दूषित होने से बचाया जाए इस पर विगत एक सप्ताह से गहन विचार-विमर्श कर इस निष्कर्ष पर पहुंच पाने में हम सफल हुए हैं कि हम मनुष्यों को इसमें सर्वाधिक सार्थक पहल करने की जरूरत है अन्यथा विकास के सारे रास्ते अवरुद्ध हो जाएंगे तथा विनाश का हर दरवाजा खुल जाएगा।
संस्था की संस्थापिका एवं संचालिका ने पटल पर पधारे सभी सहभागियों की भूरि भूरि प्रशंसा कर उत्साहवर्धन किया एवं सुधि श्रोताओं के साथ सबका कोटि कोटि आभार व्यक्त किया।।
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