गाजियाबाद - सविता शर्मा ।
गाजियाबाद प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन व विश्व आयुर्वेद परिषद के तत्वाधान में 101 आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सुषेण वैद्य रत्न से किया सम्मानित इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष बी के शर्मा हनुमान ने बताया कि धनवंतरी एक देवता है वह महान वैद्य, चिकित्सक थे यह कहावत आज भी प्रचलित है कि पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है और धनवंतरी की पूजा की जाती है देवता एवं दैत्यों के सम्मिलित प्रयास के शांत हो जाने पर समुद्र में स्वयं ही मंथन चल रहा था जिसके चलते भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत का स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए। विद्वान कहते हैं कि इस दौरान दरअसल कई प्रकार की औषधियां उत्पन्न हुईं और उसके बाद अमृत निकला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एमएलसी प्रत्याशी दिनेश गोयल जी
विश्व आयुर्वेद परिषद के महानगर अध्यक्ष आयुर्वेदाचार्य डॉ आनंद कुमार वशिष्ठ ने बताया धन्वंतरि वैद्य को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने विश्वभर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव-गुण को प्रकट किया। धन्वंतरि के हजारों ग्रंथों में से अब केवल धन्वंतरि संहिता ही पाई जाती है, जो आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है। आयुर्वेद के आदि आचार्य सुश्रुत मुनि ने धन्वंतरिजी से ही इस शास्त्र का उपदेश प्राप्त किया था। बाद में चरक आदि ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया।
धन्वंतरि लगभग 7 हजार ईसापूर्व के बीच हुए थे।
धनतेरस' के दिन उनका जन्म हुआ था। धन्वंतरि आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। रामायण, महाभारत, सुश्रुत संहिता, चरक संहिता, काश्यप संहिता तथा अष्टांग हृदय, भाव प्रकाश, शार्गधर, श्रीमद्भावत पुराण आदि में उनका उल्लेख मिलता है। धन्वंतरि नाम से और भी कई आयुर्वेदाचार्य हुए हैं। इस अवसर पर इस अवसर पर विश्व आयुर्वेद परिषद के डॉक्टर सुभाष गुप्ता डॉक्टर महेश चंद्र अग्रवाल प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन से डॉ सुनीता बहल डॉ डीपी नागर डॉक्टर संजय कुशवाहा डॉक्टर एनएस तोमर डॉ शीला रानी डॉक्टर आरपी शर्मा डॉक्टर रुखसाना परवीन डॉ मनोज कुमार नेहवाल डॉक्टर के पी सरकार डॉक्टर डॉक्टर नूर मोहम्मद शहनाज परवीन डॉक्टर सुभाष शर्मा डॉ दिलीप कुमार डाक्टर मिलन मंडल बिललू प्रजापति डॉक्टर मोहित वर्मा राशिद डॉ एसके विश्वास डॉ श्याम लाल सरकार मौजूद थे ।


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