हाँ मैं स्त्री हूँ जग जीतने के लिए अपने सपनो को वारती हूँ - सामाजिक दर्पण

ग्वालियर ।

सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन ने  साप्ताहिक फेसबुक लाइव प्रस्तुति के संदर्भ में अनेक उपलब्धि प्राप्त की। मंगलवार को मध्यप्रदेश भोपाल से सुप्रसिद्ध गीतकार एवं समाजसेवी आदरणीय संजय सिंह जी पटेल पर पधारे उन्होंने अपनी शानदार प्रस्तुति से दिवस को सार्थक बना दिया उन्होंने अपनी प्रस्तुति में कहा-

 घर है मीरा का इसे गालिब का चमन कहते हैं 

गीत गंगा में तो जमुना गजल बहते हैं 

दर्द बनकर के दोनों आंसुओं में रहते हैं 

गिरे तो गीत और जल के तो गज़ल कहते हैं।

उनका वायरल हुआ गीत लाखो लाइक से नवाजा हुआ सच पूछती हूँ बताओ न बाबू जी क्या याद मेरी आती नही उनके भावों और मुख से पटल पर सुन सब द्रवित हो गए।

वहीं बुधवार को लोक संस्कृति के विशेषज्ञ मध्य प्रदेश दतिया की शान विनोद मिश्र शिरोमणि जी का आगमन हुआ उन्होंने अपनी प्रस्तुति में भगवान शिव जी की आराधना से पटल पर चार चार चार चांद लगा दिए अनेक सुंदर बुंदेली बुंदेली भाषा के गीतों और भजनों का संगीतमय प्रस्तुति  दी

   गुरुवार को अपने सुंदर भक्ति भाव और भगवान शिवजी की के भजनों की प्रस्तुतियों से शिवरात्रि के पावन दिन को महत्वपूर्ण बनाने वाले महाकाल की नगरी उज्जैन से डॉक्टर कन्हैयालाल शर्मा जी पटेल पर पधारे उन्होंने सभी श्रोताओं को भक्ति भाव से आनंदित कर दिया

 शुक्रवार की शाम उत्तर प्रदेश मुरादाबाद से सम्मानीय कवि राजीव प्रखर जी अपनी गरिमामई उपस्थिति से पटल पर दर्ज कराई उनकी शानदार प्रस्तुति से श्रोताओं को मन मोह लिया।

 छुरी सियासत से कहे चिंता क्या

मुझे दबाकर कांख में जप तीजा हरि नाम।

शुक्रवार को पटल की संस्थापक का श्रीमती शकुन्तला तोमर जी ने रात्रि अपने ओजस्वी और सारगर्भित विचारों से भक्ति के महत्व को प्रतिपादित किया साथ ही शिवजी की आराधना निर्वाणाष्टक से की और अपने भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया

 शनिवार को वरिष्ठ कवियित्री ज्ञानवती सक्सेना'ज्ञान" जी जयपुर राजस्थान से अपनी यथार्थ प्रस्तुति जो सबके मन को सोचने पर मजबूर कर देती है-

हाँ मैं स्त्री हूँ जग जीतने के लिए

अपने सपनो को वारती हूँ

सौ सौ बार हारती हूँ

कब क्या हारना है अच्छे से जानती हूँ

तब कहीं जाकर जग जीतती हूँ

रविवार को दिल्ली से सुप्रसिद्ध कवि राजकुमार प्रताप गढ़िया जी ने शानदार प्रस्तुति दी उन्होंने अत्यंत मार्मिक रचना से पटल पर उपस्थित श्रोताओं को आनंदित कर दिया 

दर्द भरे इस सीने में अब जगह कहां है 

खुशियों की कोना-कोना भरा पड़ा है चोट में है अपनों की

 वहीं सोमवार को सामाजिक दर्पण पटल पर हरियाणा से सुप्रसिद्ध कवियित्री शारदा मित्तल जी अपनी शानदार प्रस्तुति में एक से बढ़कर एक दोहे सुनाए एवं कविताएं सुनाई जिसमे उन्होंने कहा हम महिलाएं अपने अधिकार मांगने के अपने दायित्वों के प्रति कर्तव्यपरायण भी  है।

एक बवंडर सा उठे मन भीतर रोज।

मुझ में ही सब खोजता खुद में भी कुछ खोज ।।

कैसे सुलझेगी भला मन में उभरी गांठ।

तुम तो पत्थर हो गए और भये हम काठ।।

सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन पटल ग्वालियर की पृष्ठभूमि से संचालित है इसकी संस्थापिका श्रीमती शकुन्तला तोमर जी संयोजक सीता चौहान पवन जी और मुरैना की विशेष सहयोगी अमिता शुक्ला जी ने पटल पर उपस्थित सभी माननीय सम्माननीय कवियों कवियित्रियों प्रखर वक्ताओं और श्रोताओं एवं समस्त मीडिया बन्धुओं को दिल की अनंत गहराइयों से धन्यवाद ज्ञापित किया इस प्रकार यह सप्ताह सामाजिक दर्पण पटल में उत्कृष्ट उपलब्धि हेतु दर्ज है।

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Milan Tomic

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