धरा पावन हुईं
अब तो राम है पधारे
अधरों पर मुस्कान हुईं
सियाराम संग बिराजे
हे राम तू..पधारे
कौशल्या नंदन तू...पधारे..
हे राम.. हे राम
बन बन हुआ शोर
पपीहा संग गाये मोर
नदियाँ भी ताल मिलाये
लहरों को मांझी दे जोर
हे राम तू..पधारे
दशरथ नंदन तू.पधारे .
हे राम.. हे राम
मन की गांठ खुल गयी
राम तेरी मूरत मिल गयी
श्रद्धा से पूजूँ तुमको
मुझ स्वर्ग की बारी खुल गयी
हे राम तू पधारे
अयोध्या नंदन तू पधारे
हे राम हे राम..
लेखिका -
अल्पा महेता "एक एहसास"
स्वरचित काव्य संग्रह
गुजरात
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