भ्रूण हत्या व समाज की कुरीति के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं- सविता आर्य

पानीपत ।

आज नारी तू नारायणी उत्थान समिति की अध्यक्ष सविता आर्या ने भ्रूण हत्या के खिलाफ उठाई आवाज उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने हॉली की धरती कहलाने वाले पानीपत से 22 जनवरी 2015 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की राष्ट्रीय स्तर पर सुरुआत की थी ।उन्होंने मंच से बेटियो की खातिर झोली फैलाकर भीख मांगी थी ।और वहा पहुँचे  महिलाओ और पुरुषो ने भरोशा भी दिलाया था की हम बेटियो की रक्षा करेगे।आज मैंने पानीपत अधीक्षक को एक लिखित शिकायत दी है कि पानीपत में पिछले लगभग 6 वर्षों में 2 दर्जन से ज्यादा लावारिस नवजात व भ्रूण मीले है लेकिन ऐसे जघन्य अपराध करने वाले किसी भी दोषी का  पुलिस सुराग नही लगा पाई।जिससे अपराधियों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं और एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं ।

  बेटियो के प्रति  आज भी सौतेला व्यवहार खुल कर सामने आ रहा है ।ओर साथ ही कई नवजात लड़के भी मिले हैं यह कैसा सभ्य समाज है ।जहां खोखली इज्ज़त बचाने के लिए लोग इस तरह की अमानवीय कृत्य करते हैं ।कैसी अभागी होगी वह माँ ओर कितना क्रूर होगा वो पिता या फिर अवैध  रिश्तों की आढ़ में गर्भ से पैदा हुई संतान का पन्ना फाङ देने की कोशिश ? 

सविता आर्य ने बताया कि 17 जून 2015 को पानीपत के सिविल हस्पताल में बच्चा बदलने का मामला सामने आया ।उस बेटी को न्याय दिलाने के लिए  उस बेटी की आवाज उठानी शुरू की जब उस बेटी की लड़ाई सभी संघठन एक साथ मिलकर लड़ रहे थे उसी समय 3 नवजात ओर लावारिश हालात में मीले एक 26 जून 2015 को ओर रेलवे स्टेशन के माल गोदाम के बाहर 4 माह की नवजात मिली ।

उसके बाद  9 अक्टूबर 2015 को नवजात बच्ची को  जाटल रॉड बाल्मीकि बस्ती में  पोलोथिन में डाल कर कलयुगी माँ ने खाली प्लॉट में फेंक दिया ।उस बच्ची को देखते ही मेरी आत्मा बहुत दुःखी हुई। बच्ची की हालत बहुत  नाजुक थी ।

17 अक्टूबर 2015 को मुख्यमंत्री जी पानीपत आये थे मैने उनको लिखित शिकायत भी  दी थी। लेकिन  उसके 2 दिन बाद ही 

 19 अक्टूबर को  सोधापुर के  अनाथालय के बाहर पालने में कोई एक ओर  एक महीने  की बेटी को छोड़ गया ।एक महीने में  तीन घटनाओ ने मेरी आत्मा को झकझोर कर रख दिया ।17 जून बच्चा बदलने वाली बेटी की लड़ाई 135 दिन लड़ी एक दिन अनसन किया तब उस बेटी की डीएनए रिपोट आई और बच्ची को न्याय मिला ।अक्टूबर 2015 में ही मांडी गांव में आठ माह की बच्ची कूड़े के ढेर में मिली।

नवम्बर 2015 को बबेल रॉड पर फेक्ट्री के पास खाली प्लॉट में फिर बच्ची मिली

30 जनवरी 2016 को सेक्टर 12 में मकान नम्बर 1780 के बाहर एक माह की बच्ची मिली।उसके बाद

27 फरवरी 2016 को सेक्टर 25 में जुड़वा नवजात का शव मिला ।उसके बाद 

3 अगस्त 2016 को भूलभुलैया चौक के पास बैग में 5,6 महीने का भ्रूण मिला।जिससे अनुमान हुआ कि कही न कही गर्भ पात की दवाई दी जा रही है ।

14 सितम्बर 2016  सेक्टर 12 के 934 मकान के बाहर 2 जुड़वा नवजात मिली टोकरी में मिली।प्रसासन से मैने गुहार लगाई की हॉस्पिटल से पता चल सकता है।किस हॉस्पिटल में जुड़वा बच्चो ने जन्म लिया है लेकिन डाक के तीन पात ओ दोनो बेटिया भी अनाथ बना कर बाल गृह पहुचा दी गई।

बाकी उस समय सितम्बर महीने में 3 नवजात  एक साथ लावारिस  मिलने से जिला प्रसासन की तरफ से शहर में 7 जगह पालने लगाए गए थे ।लेकिन  एक महीने में 3 बेटियो का लावारिश मिलना  गम्भीरता का विषय था ।सरकार द्वारा पीसीपीएनडीटी एक्ट को सख्ती से लागू  कर देने  के बाद बेटियो को जन्म देने के बाद छोड़ने की घटनाओ में बढ़ोतरी हुई।यह सोचने का विषय है ।

 उसके बाद फिर  

अक्टूबर 2016 में नवजात लड़का सेक्टर 25 में मिला ।उससे लगा कही न कही पाप छुपाने की कोशिश की गई है ।

16 नवंबर2016 को 5 महीने की बच्ची का भूर्ण मिला ।अगले दिन ही 

17 नवम्बर 2016 को 3 दिन की एक  नवजात बच्ची  कंबल में लिपटी राहगीरों को  संजय चोक के पास मिली।फिर

21 अप्रैल 2017 को अर्जुन नगर में 2 महीने की बच्ची का शव मिला।

11 अगस्त 2017 को 4,5 महीने की बच्ची आसन गांव के तालाब में मिली।

22 मई 2018 को मॉडल टाउन के सदानन्द पार्क मे फिर बच्ची मिली।उसके बाद

5 जुलाई 2018 को सिविल अस्पताल में नवजात को छोड़कर माँ फरार हो गई ।12 तारीख को मीडिया के माध्यम से पता चला उसकी सोशल मीडिया पर पोस्ट की ओर मदद की गुहार लगाई तो ।(18 जुलाई को मेरे पास अनजान व्यक्ति का कॉल आया और  मैंने कबाड़ी से माँ को गिरफ्तार करवाया)

उसके बाद फिर19 सितम्बर 2018 को माजरी रेलवे रॉड पर नवजात मिली।

8 अक्टूबर 2018 को गरूद्वार के  बाहर नवजात मिला

13 नवंबर2018 को कुटानी रॉड पर खेत मे नवजात मिला (जिसकी 19 नवंबर को पीजीआई में मौत हो गई।)

26नवंबर 2018 को अंसल के गेट के पास लगभग3,4 दिन की नवजात झाड़ियों में राहगीरो को  मिली।फिर से ताजी घटना ने मातृत्व पर सवाल उठा दिया।

14 दिसम्बर 2018 को भालसी गांव में फिर भ्रूण मिला।

11 फरवरी 2019 को गांव तामशाहबाद में युमना बांध के करीब फिर एक नवजात बच्चा कड़ाके की ठंड में नग्न अवस्था मे  मिला ।

जब इस बेटे को देखने सिविल हस्पताल गई तो पता चला 94 दिन से एक बेटी लावारिस हालत में हस्पताल की नर्सरी में अपनी माँ का इंतजार कर रही है ।उसी समय sp पानीपत से मिली मैं ओर 24 घण्टे में उसकी माँ को ढूंढने में पुलिस की मदद की 

17 जुलाई 2020 को बुड़शाम गांव में नाले में बच्ची का शव मिला।ऐसी तस्वीर देख कर  आत्मा दुखती है ।

6 अक्टूबर 2020 को हथवाला गांव में जीवित नवजात बोरे में मिली।

21 मई 2021 को इंसार बाजार में भ्रूण पोलोथिन में मिला।

6 जून 2021 को बधावा राम में 5 दिन की बच्ची घर के बाहर मिली ।

17 नवम्बर 2021 को विकाश नगर में 8 महीने का भ्रूण मिला।इस तरह की तस्वीरों को देखकर आँखे नम हो जाती है ।आखिर क्यों फूल से बच्चो को मौत के हवाले कर दिया जाता है ।क्या कसूर है इन  मासूम बच्चों का मेरा सवाल है सरकार ,प्रसासन ओर समाज से ।

इस तरह के जघन्य अपराध के खिलाफ पुलिस ने कोइ ठोस कदम नही उठाया और न ही कोई आज तक  दोषी पकड़ा गया । आज फिर सरकार और प्रसासन से गुहार लगाई है कि दोषियों को पकड़ कर सख्त से सख्त करवाई करें ।नही तो ऐसे ही दरिदों के हौसले बुलंद रहेंगे।

मेरी तो मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग से भी अपील है कि अगर शहर के हर क्षेत्र  में काम करने वाली आशा वर्कर से गर्भवती महिलाओ की लिस्ट प्रत्येक माह मांगे तो स्वास्थ्य विभाग के पास सभी गर्भवती महिलाओ की लिस्ट होगी ।ऎसे में बच्ची को दुत्कारने वाली महिला पर सख्त से सख्त करवाई की जायेगी । ओर हमारी बेटियों को जीने का अधिकार भी मिल जाएगा ।

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Milan Tomic

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