सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन ने फेसबुक लाइव प्रस्तुति के संदर्भ में अनेक उपलब्धि प्राप्त की। इस काव्यपाठ में शिरकत करने वाले साहित्यकार डॉ रत्नेश्वर सिंह जी पटना बिहार से भोजपुरी गीत में फाल्गुन और चैती सुनाकर मंत्र मुग्ध कर दिया ,प्राची मिश्रा जी बैंगलोर से, कवि प्रमोद मिश्र निर्मल जी ग्रेटर नोएडा से ,अटल मुरादाबादी जी ओज एवं व्यंग्य कवि नोएडा दिल्ली से,ममता सिन्हा जी रामगढ़ झारखंड से,भारती शर्मा जी लेखिका मथुरा से,डॉ ममता सिंह चौहान जी रायसेन से,वी पी सिंह जी पिपरिया होशंगाबाद से फसल अवशेष प्रबंधन पर चर्चा की। राहुल मिश्र व्यंग्यकार दिल्ली से,पधार कर पटल को गौरवान्वित किया
मैं जलाता रहा आरती के दीये
साधना द्वार आ दूर जाती रही
हर कहानी रही अनकही इस तरह
सीप बन्द में मोती पड़ा जिस तरह
या मिलन की कुंवारी किसी आस को
डस गया हो अजाने निष्ठुर चिर विरह
मैं घटाता रहा उम्र के फासले जिंदगी पास आ दूर जाती रही।
-प्रमोद मिश्र निर्मल नोएडा
अबकी होली ऐसी मनाएंगे
कोरोना को दूर भगाएंगे
न होगी रंगों की बौछार
सिर्फ प्रेम का होगा त्यौहार।
-डॉ ममता सिंह चौहान
बहुरंगी पुष्पों का आंगन
देख रंगे मन रोली रे
सतरंगी त्यौहारी सांस्कृतिक बेला
रंग बिरंगी होली रे।
मन मे सबके होली होली
मन से मन को मिला नही, कोई हमजोली
प्रभु को लगाओ चंदन रोली
वही भरेंगें सबकी खुशियों से झोली
-शकुन्तला तोमर ग्वालियर
रंगो के संग मन मिल जाए
तो मानु मैं होली है
मिष्ठानों सी बोली बन जाए
तो मानु मैं होली है
- सीता चौहान पवन
ऐ मेरे गाँव की मिट्टी बहुत तू याद आती है
मेरी काया से आज भी तेरी ही खुशबू आती है।
वतन जो छोड़ आये हैं
चंद सिक्के कमाए हैं
-प्राची मिश्रा बैंगलोर
घुँघुरु बांधते हुए उसकी बीवी ने आँखों में देखा
वो भय, वो पीड़ा, आंसुओं की महीन सी रेखा
इतना तो ये पहली बार भी नहीं घबराया था
उस बार भी नहीं, जब बिन कपड़े,घर आया था
-राहुल मिश्रा दिल्ली
ऐसा होता है अक्सर मेरे साथ
कभी शब्द खो जाते हैं कभी अर्थ ही गम जाते हैं
भूलभुलैया में दोनो कहीं रह जाते हैं।
-भारती शर्मा मथुरा
अब बसंत परदेश जाने को है
मैं जानती हूं ये फिर लौट के आएगा
हाँ सचमुच ही ये लौट आएगा
-ममता सिन्हा झारखंड
मन के तारों को झंकृत कर उनमें तुम बस जाओ।
शब्द शब्द में भाव भरो छंद गंध बन जाओ।
-अटल मुरादाबादी दिल्ली
सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन पटल ग्वालियर की पृष्ठभूमि से संचालित है इसकी संस्थापिका श्रीमती शकुन्तला तोमर संयोजक सीता चौहान पवन और मुरैना से सहयोगी अमिता शुक्ला ने पटल पर उपस्थित सभी माननीय सम्माननीय कवियों कवियित्रियों प्रखर वक्ताओं और श्रोताओं एवं समस्त मीडिया बन्धुओं को दिल की अनंत गहराइयों से धन्यवाद ज्ञापित किया ।अपने गीत ओए होय रे होली खेलन अइयो रंगो का मौसम आयो रे ।होली खेलन ....से सबको मोह लिया
यह आयोजन मिली जुली होली बसन्त और सामाजिक विमर्श की प्रस्तुतियों से सराबोर रहा सामाजिक दर्पण पटल में उत्कृष्ट उपलब्धि हेतु दर्ज है।
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