मेरे प्यारे वतन चांद पूनम के जैसे तू खिलता रहे।
ग्वालियर ।
गालव ऋषि की तपोभूमि ग्वालियर से संचालित सामाजिक दर्पण-सोशल मिरर फाउंडेशन की संस्थापिका एवं संयोजक शकुन्तला तोमर जी है,सीता चौहान पवन जी अमिता शुक्ला जी धर्मेंद्र सिंह तोमर जी विशिष्ट सहयोगी के रूप में। इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक अभिव्यक्ति शिक्षा समाज साहित्य संस्कार एवं संस्कृति से संबंधित विचार एवं गतिविधियों का सृजन करना कर युवा एवं बच्चों में इनका हस्तांतरण कर उन्हें इससे जोड़ना। सामाजिक मुद्दे बच्चों में युवाओं में समाज साहित्य और भाषा में रुचि संस्कृति लोक कला लोक गीत संगीत का संरक्षण तीज त्यौहार हमारी परम्परायें रीति रिवाज एवम संस्कार निर्माण हेतु विचार और कैंपेन एवं सामाजिक परिवेश में व्याप्त समस्याओं (बच्चो स्त्री बुजुर्गों से सम्बंधित मुद्दों)पर चर्चा कोई विशेष कार्य हेतु प्रोत्साहन और सुधार समाधान हमारा लक्ष्य।
सभी सम्मानीय साहित्यकार कवि समाजसेवी प्रेरक वक्ता श्रोतागण गरिमामयी उपस्थिति के लिए सादर आमंत्रित है
फेसबुक लाइव काव्यपाठ में भाग लेने वाले साहित्य मनीषी :
जानी मानी कवियित्री एवं शायरा कृष्णा शर्मा"दामिनी" फरीदाबाद से, शायर एवं संगीतकार मंजर गोरखपुरी साहब उत्तरप्रदेश से,कवि लालाराम ब्रजवासी भरतपुर राजस्थान से, सत्यनारायण तिवारी शहडोल से सुप्रसिध्द गीतकार प्रकाश चंद पाराशर डीग भरतपुर राजस्थान से,शैलेन्द्र सिंह परिहार शैल रीवा से,एवं अद्भुत शानदार सांस्कृतिक युगल प्रस्तुति लोकगायिका एवं कवियित्री सुश्री लक्ष्मी करियारे जांजगीर छत्तीसगढ़ से,
श्री सूरज श्रीवास जी लोकगायक एवं छालीबुड़ अभिनेता कोरबा छत्तीसगढ़ से के द्वारा दी गयी।
छत्तीसगढ़ मोर पावन भुईया कोईली महिमा गावत हे..
जगमग दियना सुरूज के आरती चंदा उतारत हे.
-सुश्री लक्ष्मी करियारे
हमर भारत भुईया हावय सोन चिरइया छत्तीसगढ़ म गीरौधपुर धाम..
धान के कटोरा जिहा पंछी परेवना जपत हावय गुरु बबा तोर नाव..
जप ले न हंसा सतनाम..
जाये के बेरा आही तोर काम...
-श्री सूरज श्रीवास
कोरबा छत्तीसगढ़
कवियित्री शायरा कृष्णा शर्मा दामिनी जी ने सामाजिक दर्पण की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा:
हौसला रखो भरो ऊंची उड़ानें अब तुम
वक्त कहता है बदल डालो जमाने अब तुम
आपके दम से ही नफरत की जलेगी लंका
चारसुगाओ मोहब्बत के तराने तुम
इंकलाब आया है दुनिया मे तुम्हारे दम से
निकलो सोए हुए लोगों को जगाने अब तुम
दशमलव भाग की औसत दहाई तुम हो
मेरे भारत की एक मजबूत इकाई तुम हो
देश की शान है तुमसे तुम्ही से रुतवा
रख दे इतिहास बदलकर वो स्याही तुम हो।
गजलकार मंजर गोरखपुरी साहब जी ने सुनाया:
लफ़्ज़ों में भी तकरार है कुछ बात तो होगी
हर बात पे इनकार है कुछ बात तो होगी
तुम्हारी याद के जुगनू निगाहों में चमकते है।
तुम्हारे फूल अब तक भी किताबों में महकते हैं।
शहडोल से सत्यनारायण तिवारी ने कहा
चार चवन्नी देकर प्रभु ने भेजा इस संसार मे
तीन चवन्नी खर्च हो गयी केवल लोकाचार में
राजस्थान से कवि लालाराम ब्रजवासी ने कहा
तिरंगे को कफन अपना यारो हम बना लेंगें
क्या ताकत है भुजाओं में ये दुश्मन को दिखा देंगे।
राजस्थान से गीतकार प्रकाश चंद पाराशर जी ने सुनाया
मेरे प्यारे वतन चांद पूनम के जैसे तू खिलता रहे
मेरे प्यारे वतन उन्नति की डगर पर ही चलता रहे।
सतना मध्यप्रदेश से कवि शैलेन्द्र सिंह शैल जी
जबसे सुनी व्यथा वृंदा की
ओ जाग उठा ये मन,
बना लिया तबसे अपने आंगन को वृंदावन।
सभी सम्मानीय साहित्यकार,कवि,समाजसेवी ,प्रेरक वक्ता ,श्रोतागण गरिमामयी उपस्थिति के लिए सादर आमंत्रित है।
संस्थापिका श्रीमती शकुन्तला तोमर,विशिष्ट सहयोगी सीता चौहान जी अमिता शुक्ला जी एवं धर्मेन्द्र सिंह तोमर जी ने सभी का कोटि कोटि आभार व्यक्त किया।
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