आज फादर्स डे है और हर बच्चे का अपने पिता से गहरा रिश्ता है। एक तरफ बच्चों का मां से भावनाओं का जुड़ाव होता है तो दूसरी तरफ पिता से समझ का। लेकिन इन सब के बीच कई बार पिता की अनकहे शब्द और प्यार न जता पाने की आदत उनके भावों को ठीक तरह से अभिव्यक्त नहीं कर पाते और बच्चे पिता को जरूरत से ज्यादा सख्त और भावनाविहीन मान बैठते हैं। लेकिन सच तो ये है कि एक मां बच्चे को जितना प्रेम करती है, उतनी ही चिंता पिता को भी अपने बच्चे की होती है। बस फर्क इतना होता है कि मां के प्रेम का पलड़ा भारी होता है और पिता के सुरक्षात्मक रवैये का, जो कई बार बच्चों को कठोर सा लगने लगता है। वहीं पिता हमेशा उन्हें बनाते हैं और उनके व्यक्तित्व को संवारते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे लोगों की संघर्ष की कहानियों से अवगत कराएंगे, जो आज भी समाज मे रहकर अपने पिता की ख्वाहिश को किसी न किसी रूप में पूरा कर रहे है।
फादर्स डे के मौके पर अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक
हृदयेश कुमार ने बताया कि उनके पिता का सपना था कि हम चारों भाई किसी शहर में अपना
अच्छा बिजनिस करे और कोई भी गलत काम नहीं करना चाहे कुछ भी हो लेकिन मेरा सपना था
कि मै समाज के लिये कुछ अच्छा कार्य कर एक प्रेरणा दे कर अपना जीवन उनके लिए
समर्पित कर दूँ अपने लिये तो हर कोई जीता है
असल जीवन का अनंद ही दूसरे के लिए जीने
में है जो आज पूरा हो चुका है। लेकिन इसके लिए पिता ने काफी संघर्ष किया और हृदयेश कुमार
के लिए पिता का व्यक्तित्व तो उनके लिए ब्रह्मांड से भी बड़ा है और सागर से भी गहरा है। उनके अनकहे शब्द भी खुद में कई शब्दों को समेटे हैं और उनकी हर एक बात से उन्हें कई सबक भी मिले हैं। उनके लिए घर में पिता का होना एक ऐसी सुरक्षा का घेरा है जहां सबकुछ महफूज है। वही हृदयेश कुमार का कहना है कि अब तक उनके पिता ने उनके लिए संघर्ष किया था और उनकी ख्वाहिशों को पूरा किया। लेकिन अब बारी उनकी है और वह कोशिश कर रहे हैं कि अपने पिता की सभी ख्वाहिशों को पूरा कर सकें । उन्हीं में से उनकी एक ख्वाहिश है अपने पिता को विश्व
विख्यात करने की जिसे वे बहुत जल्द पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं ।
मदर टेरैसा की तरह ही पूरे विश्व में अपनी माँ और पिता की छाप इस तरह होगी कि दुनिया में नाम होगा l हृदयेश कुमार पानी के जहाज के ईन्जिनीयर हैं दुबई , सिंगापुर , कनाडा , अमेरिका ,श्रीलंका नाईजिरियि और भी अन्य देशों
में काम कर चुके हैं व अनेकों
वर्ड रिकार्ड मिल चुके हैं
अपने स्वर्गवासी पिता को याद करते हुए बताया कि किसी बच्चे के सिर से पिता का साया उठ ना बहुत दुखद होता है। संसार में मां के त्याग और ममता की मिसाल दी जाती है। जिनकी व्याख्या करने लगूं तो शायद पन्ने भी कम पड़ जाए। परंतु आज पापा के लिए कुछ कहना चाहूंगा…..पापा जिन्हें मैं अपनी जिंदगी की एक ताकतवर पिलर समझता हूं और उनकी एक बात मुझे हमेशा याद आती है वे कहते थे बेटा…..किसी भी व्यक्ति को समझना हो तो उसके आचरण को सर्वप्रथम स्थान दो, एक सच्चा और अच्छा आचरण किसी दिखावे का मोहताज नहीं होता, वह स्वयं ही लोगों को दिखता है और उसके आचरण के आधार पर हम उस शख्स का मूल्यांकन भी कर सकते हैं। और उनकी दूसरी बात जो वह हमेशा मुझसे कहते थे बेटा…….संबंध चाहे कोई भी हो मां- बेटे, भाई – बहन या पति – पत्नी का इनमें संवाद हमेशा होना
चाहिए। क्योंकि बिना संवाद के कोई भी संबंध पूरा नहीं हो सकता है, क्योंकि जहां संवादहीनता है वहां गलतफहमिया ज्यादा है। उस समय मुझे यह बातें समझ नहीं आई थी। लेकिन आज जब जीवन की चुनौतियों का सामना कर रहा हूं तो पापा की कहीं कुछ बातें मुझे हर वक्त हिम्मत देती है और इन्हीं बातों और अच्छे विचारों को मैंने अपनी जिंदगी में उतारा है । लेकिन मुझे खुशी इसबात की है कि
मेरे पिता तुल्य भगवान ने डॉ एम पी सिंह को
मेरे जीवन में तलवार की ढ़ालकी तरह मार्ग दर्शन करते हैं ये मेरा सौभाग्य है
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