CrPC Section 138: कोर्ट में हाजिर होकर कारण बताने की प्रक्रिया बताती है धारा 138
दिल्ली ( तासीम अहमद - संपादक )
सीआरपीसी की धारा 138 (Section 138) में उस प्रक्रिया के बारे में प्रावधान (Provision) किया गया है, जब आदेश के पालन में कोई व्यक्ति पेश होकर कारण दर्शित करता है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 138 इस बारे में क्या कहती है?
Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) से जुड़े कई प्रकार के प्रावधान (Provision) दर्ज हैं, जिनका अलग-अलग तरह के मामलों में किया जाता है. इसी तरह से सीआरपीसी की धारा 138 (Section 138) में उस प्रक्रिया के बारे में प्रावधान (Provision) किया गया है, जब आदेश के पालन में कोई व्यक्ति पेश होकर कारण दर्शित करता है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 138 इस बारे में क्या कहती है?
सीआरपीसी की धारा 138 (CrPC Section 138)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 138 (Section 138) में उस प्रक्रिया के बारे में बताया गया है, जहां कोई आदेश का पालन करते हुए कोर्ट में हाजिर होकर कारण बताता है. CrPC की धारा 138 के अनुसार-
(1) यदि वह व्यक्ति, जिसके विरुद्ध धारा 133 के अधीन आदेश दिया गया है. हाजिर है और आदेश के विरुद्ध कारण दर्शित करता है तो मजिस्ट्रेट उस मामले में उस प्रकार साक्ष्य लेगा जैसे समन मामले मे लिया जाता है।
(2) यदि मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाता है कि आदेश या तो जैसा मूलतः किया गया था उस रूप में या ऐसे परिवर्तन के साथ, जिसे वह आवश्यक समझे, युक्तियुक्त और उचित है तो वह आदेश, यथास्थिति, परिवर्तन के बिना या ऐसे परिवर्तन के सहित अंतिम कर दिया जाएगा।
(3) यदि मजिस्ट्रेट (Magistrate) का ऐसा समाधान नहीं होता है तो उस मामले में आगे कोई कार्यवाही (Proceedings) नहीं की जाएगी।
क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है।
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है ।
0 comments:
Post a Comment