विशिष्ट बालकों का मनोविज्ञान और शिक्षा - एमपी सिंह

फरिदाबाद ।

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए विशिष्ट बालकों का मनोविज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर के माध्यम से समझाया है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ बच्चे जन्म से ही रोगी होते हैं तथा कुछ  दुर्घटना का शिकार होकर रोग ग्रसित हो जाते हैं कुछ को दृष्टि दोष होता है तो कुछ बोल नहीं पाते हैं कुछ समझ नहीं पाते हैं तो कुछ चल नहीं पाते हैं अनेकों प्रकार की परेशानियां हो सकती हैं लेकिन सभी बच्चों में प्रतिभा होती है हमें उनको हीन भावना से नहीं देखना चाहिए और और सही व्यवहार रखना चाहिए

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि आजकल भौतिकवाद की दुनिया में अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं जिसकी वजह से अधिकतर समय बच्चे अपने मोबाइल या लैपटॉप पर गुजार रहे हैं अपनी दैनिक दिनचर्या भी भूल गए हैं ना उनका उठने का समय है और ना ही उनका खेलने का क्योंकि उनको कंट्रोल और कमांड करने वाला पिता नहीं है उनको प्यार देने वाली माता नहीं है उनको दादी और नानी की कहानी सुनने के लिए नहीं मिल रही हैं इसलिए अधिकतर बच्चे उदास रहते हैं

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर परिवारों में माता और पिता बच्चों के साथ नहीं रह रहे हैं आपसी मतभेद के कारण या बाहरी हस्तक्षेप के कारण माता और पिता अपनी अपनी जिंदगी तो बेहतर गुजार रहे हैं लेकिन बच्चों की परवरिश पर किसी का कोई ध्यान नहीं है बच्चे तो उनके लिए टूल है उनका प्रयोग तो लड़ाई झगड़े कोर्ट कचहरी में किया जा रहा है जो कि उचित नहीं है

 डॉ एमपी सिंह ने अपने मन की बात को निम्नलिखित प्रश्न और उत्तर के माध्यम से समझाने की कोशिश की है कृपया गौर से पढ़ें और समझें तथा परिवर्तन लाने की कोशिश करें

1- विशिष्ट बालकों के कौन-कौन से प्रकार होते हैं 

-शारीरिक न्यूनता से ग्रसित

  -विकलांग बालक

 -मानसिक न्यूनता से ग्रसित

  -मंदबुद्धि बालक 

2-प्रतिभावान विकलांग बालकों की शिक्षा में किन बातों पर ध्यान देना चाहिए

 -व्यवसायिक समायोजन

 -सामाजिक समायोजन

 -उसकी शक्ति की सीमाओं में कार्य करने का अवसर देना

3-अपंग व्यक्ति कैसे दोषा पीड़ित हो जाते हैं

 -दोष युक्त ही पैदा होते हैं

 -दुर्घटनाओं के परिणाम स्वरूप

 -किसी बीमारी के प्रभाव के कारण

4-अपंग व्यक्तियों में प्राय भावना कैसी होती है

 -हीनता की भावना 

-माता-पिता को मंदबुद्धि बालकों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए

 -किसी मनोवैज्ञानिक को दिखाना चाहिए

 -सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए

 -वातावरण की विभिन्न क्रियाओं का ज्ञान देना चाहिए

5-मंदबुद्धि बालकों के शिक्षक में क्या-क्या गुण होने चाहिए

 -बच्चों का अवबोध होना चाहिए

 -बच्चों में संवेगात्मक स्थिरता उत्पन्न करना चाहिए

 -श्रव्य दृश्य सामग्री का प्रयोग करना चाहिए

6-प्रतिभावान बालक का चुनाव किस प्रकार होता है 

-बुद्धि परीक्षण द्वारा

 -निष्पत्ति परीक्षण द्वारा

 -विशेष योग्यता परीक्षण द्वारा 

7-प्रतिभाशाली बालकों की समस्याएं किस-किस प्रकार की होती हैं

 -परिवार में समायोजन की समस्या

 -विद्यालय में समायोजन की समस्या

 -समाज में समायोजन की समस्या 

8-पिछड़ेपन के क्या कारण हो सकते हैं

 -सामान्य सहज बुद्धि की कमी

 -वातावरण का प्रभाव

 -स्वभाव संबंधी दोष

9-पिछड़ापन कितने प्रकार का हो सकता है

 -सामान्य पिछड़ा 

 -विशिष्ट पिछड़ापन 

10-सामान्य पिछड़ापन दूर करने के क्या उपचार हैं

 -शारीरिक दोष का पता लगाना

 -बुद्धि परीक्षा द्वारा मंदबुद्धि का पता लगाना

 -वातावरण को दोष रहित बनाना

11-विशिष्ट पिछड़ापन दूर करने के क्या उपचार हैं

 -श्रेष्ठ शिक्षण विधियों को अपनाना

 -पिछड़े हुए विषय में रुचि जागृत करना

 -बालकों की ओर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देना

12-शिक्षक को छात्रों के मानसिक विकास हेतु क्या करना चाहिए 

-तर्कशक्ति का विकास करना चाहिए

 -निर्णय क्षमता का विकास करना चाहिए

 -कल्पना शक्ति का विकास करना चाहिए

13-विद्यार्थी के विकास में कौन-कौन से गुणों का विकसित होना अनिवार्य है 

-शारीरिक व मानसिक गुण संवेगात्मक विकास

14-जिन बालकों को परिवार में आवश्यक पोषण तथा प्यार के स्थान पर ताड़ना तथा प्रताड़ना मिलती है उनका व्यक्तित्व कैसा होता है

 -कुंठित 


15-तनाव कम करने की कौन-कौन सी विधियां हैं 

-बाधा दूर करना

 -अन्य रास्तों की खोज करना

 -लक्ष्य प्रतिस्थापित करना

16-समस्यात्मक बालकों का उपचार कैसे किया जा सकता है 

-माता-पिता का व्यवहार सद्भावना युक्त होना चाहिए

 -विद्यालय और परिवार में यथासंभव सहयोग होना चाहिए

 -घर के बाहर विद्यालय और आस पड़ोस में बालक की -संगति पर बराबर नजर रखी जानी चाहिए

 -विद्यालय में शिक्षित व्यक्ति व्यावसायिक निर्देशन ओं का प्रबंध होना चाहिए

17-समस्यात्मक बालक किस प्रकार के होते हैं 

-झगड़ालू तथा उत्तेजित

 -हतोत्साहित तथा भ्रमित

18 समस्यात्मक विद्यार्थी क्या क्या कर सकता है 

-कक्षा से भाग जाना तथा बहाने लगाना

 -चोरी करना तथा झूठ बोलना

 -अनुशासन के प्रति असहयोग होना

 -नशा करना तथा धोखा देना

-आज्ञा की अवहेलना करना 

19-छात्रों का विकास कैसे किया जा सकता है 

-माता पिता का दिशा निर्देशन ठीक होना चाहिए 

-स्वस्थ सामाजिक दर्शन होने चाहिए

 -विद्यालय द्वारा सकारात्मक अभिवृत्ति का विकास होना चाहिए

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-दिनचर्या ठीक होनी चाहिए विद्यार्थी के हर प्रश्न का जवाब लॉजिक और सिस्टम पर देना चाहिए ज्यादा दिवास्वप्न नहीं दिखाना नहीं चाहिए वास्तविकता में जीने की कोशिश करनी चाहिए सत्य के नजदीक रहना चाहिए ज्यादा घूमने फिरने की आदत नहीं करनी चाहिए बाजारों मैं फास्ट फूड तथा पटरी किनारे बिकने वाली अशुद्ध  वस्तुएं बच्चों को खिलाकर प्रसन्न नहीं होना चाहिए स्वास्थ्य वर्धक भोजन खिलाने की आदत डालनी चाहिए अपने पूर्वजों का इतिहास बताना चाहिए।

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Milan Tomic

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