दिल मेरा लुभा गया कोई,
लम्स हाथों का दे गया कोई।
उसकी दुनिया ही मेरी जन्नत है,
आज जन्नत में ले गया कोई।
मेरी दुनिया उजड़ने वाली थी,
मेरी दुनिया बसा गया कोई।
रात चांदनी भीगी भीगी थी,
खुद के एहसास में भिगा गया कोई।
सूनी दुनिया थी मेरी तन्हा सी,
मुझको महफिल में ले गया कोई।
लगता बेगाना सा हर कोई मुझको
फिर भी अपना बना गया कोई
लेखिका -
रिचा श्रीवास्तव ( प्रेजी )
अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत

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