आत्मनिर्भर स्त्री
---------------------------------------------------------------------------
कोई महिला कितनी सशक्त है, यह बिना आत्मनिर्भरता के संभव नहीं और यदि महिलाएं आत्मनिर्भर हो जाती भी है तो क्या महिलाएं सचमुच आत्मनिर्भर होकर भी आत्मनिर्भर हो पाती है ? यह बहुत बड़ा प्रश्न है महिलाओं के समक्ष ।
आजकल की ज्यादातर महिलाएं आर्थिक, सामाजिक, वैचारिक रूप से स्वतंत्र तो होना चाहती हैं परंतु इसके बाद ही वे पुरुषों पर निर्भर रहना चाहती है। उनके जीवन में पुरुष की मौजूदगी उनको सुरक्षा का एहसास कराती है और खालीपन महसूस नहीं होने देती।
आखिर एक स्त्री आत्मनिर्भर होते हुए भी क्यों पुरुषों पर निर्भर रहना चाहती है ।
एक प्रमुख कारण तो यह है कि स्त्रियां भावुक होती हैं। महिलाएं कितना भी बड़ा मुकाम हासिल कर लें उन्हें भावनात्मक सुरक्षा की आवश्यकता हमेशा महसूस होती है।
दूसरा मुख्य कारण यह भी है कि उन्हें सामाजिक दबाव झेलना पड़ता है। एक पुरुष भले ही एकाकी जीवन बिता लें उन्हें कोई प्रश्न सूचक दृष्टिकोण से कभी नहीं देखेंगे, परंतु यदि एक महिला एकाकी जीवन जीना चाहे तो उनके चरित्र पर और उनके अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो जाता है। ऊपर से यदि स्त्री की उम्र ज्यादा होने लगें तो उनको रिश्ता मिलना भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि हमारे समाज में स्त्री की उम्र शादी करने के लिए पुरुषों से कम ही होनी चाहिए ।
वैसे महिला खुद भी चाहती है कि पुरुष जीवन साथी उससे ज्यादा ओहदें वाला हो और उससे किसी मामले में कम न हो ।
तीसरा कारण उनकी शारीरिक जरूरतें होती है महिलाएं कितना भी तरक्की कर ले परंतु उनकी शारीरिक जरूरतों की भरपाई सिर्फ पुरुष ही कर सकता है । इसके लिए उनका पुरुष के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ाव होना आवश्यक होता है और इसीलिए वो अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए एक पति एक प्रेमी की जरूरत होती है जो उसकी भावनाओं को समझें उसकी देखभाल कर सकें।
पति बच्चे और घर की ख्वाहिश हर स्त्री की मुख्य ख्वाहिश होती है वह कैरियर के साथ-साथ अपना घर- पति- बच्चे ,अपना संसार बसाना चाहती हैं। वह इन सबके बिना खुद को अधूरा समझती है ।वह मां बनना चाहती है और इसके लिए उसे पुरुष पर निर्भर रहना अच्छा लगता है ।
महिलाएं कई सारी जिम्मेदारी एक साथ निभा सकती हैं, बस बदले में वह भावनात्मक सहयोग व भरपूर प्यार की अपेक्षा रखती है। एक स्त्री यदि पुरुष पर निर्भर रहती है तो यह उसकी कमजोरी नहीं बल्कि उसका संवेदनशील होना होता है । शायद तभी एक स्त्री आत्मनिर्भर होकर भी आत्मनिर्भर नहीं हो पाती ।
लेखिका-
सुनीता जौहरी
वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत
0 comments:
Post a Comment