सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन ऋषि गालव की नगरी से संचालित है जिसकी संस्थापिका एवं संचालिका शकुन्तला तोमर जी है सीता चौहान पवन जी धर्मेंद्र सिंह तोमर जी अमिता शुक्ला जी विशिष्ट सहयोगी के रूप में, यह एक साहित्यिक सांस्कृतिक शैक्षिक एवं सामाजिक क्षेत्र में निरंतर विभिन्न विषयों पर समाज हित में हर वर्ग और समुदाय हेतु बच्चो स्त्रियों बुजुर्गों तथा हमारी ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक और नैतिक धरोहर एवं संरक्षण हेतु प्रयासरत है।
फेसबुक लाइव के माध्यम से देश विदेश से जुड़े समाजसेवियों साहित्यकारों विद्वानों ने अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से विषयों को रोचक बनाकर सबको सकारात्मक प्रेरणा देने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है । व्याख्यान काव्यगोष्ठी एकल प्रस्तुति चर्चा परिचर्चा के माध्यम से जनसमुदाय की समस्याओं पर चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयत्न करना तथा उसे आत्मसात कर समाज में सुधार हेतु क्रियान्वन करना ही सर्वोत्तम उद्देश्य है।
इसी कड़ी में विभिन्न विद्वानों साहित्यकारों एवं समाजसेवियों ने अपनी सराहनीय भूमिका निभाते हुए विभिन्न प्रस्तुतियाँ दी।
अहमदाबाद से डॉ मधु गौड़ जी ने अपनी शानदार प्रस्तुति से सबको आंनदित कर दिया
सुप्रसिद्ध साहित्यकार अनिता श्रीवास्तव जी टीकमगढ़ अपनी प्रस्तुतियां अलग और मनमोहक होती सभी विधाओं में ।
अंतरराष्ट्रीय कवयित्री रूही सिंह जी नैरोबी केन्या से अपनी मधुर सुन्दर कविताओं गीतों की प्रस्तुति दी।
आगरा से नवोदित कवयित्री वंदना चौहान जी
की शानदार प्रस्तुति दी।
साथ ही मशहूर गायक बाल कलाकार प्रिया भारती जी रामावतार साह बिहार से पधारे उन्होंने अपनी अद्भुत अप्रतिम मधुर संगीत स्वरलहरियों से जादुई आवाज से अपने गायन से पटल पर सात सुरों की छटा बिखेर आनंदित कर दिया।
लखनऊ से सीमा मधुरिमा जी ने अपनी प्रस्तुति अलग अंदाज में विद्रोही लेखिका के रूप में कविताओं की यथार्थ एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी ।
उरई जालौन से सबके दिल पर राज करनेवाली कवयित्री प्रिया श्रीवास्तव "दिव्यम"जी ने अपनी कविताओं गीत अलग अंदाज से चार चांद लगा दिए।
वरिष्ठ कवयित्री कमल सक्सेना सहज जी तशरीफ़ लाईं उन्होंने अपने अंदाज के गीत कविताओं की प्रस्तुति खूबसूरती से सबका मन मोह लिया।
वहीं एक नाम जो उर्दू मुशायरे में बड़े अदब से लिया जाता डॉ कौशल सोनी फहरत उत्तरप्रदेश से पटल पर आगमन हुआ बड़े खूबसूरत अंदाज़ में अपनी नज्म रख पटल पर सबको आनंदित कर दिया।
मेरा बयान मेरे वास्ते दुआ भी है।
आमद मेरे वुजूद के अन्दर मेरा ख़ुदा भी है।
विशेष काव्यगोष्ठी आयोजन में "चलो गाँव की ओर"विषयान्तर्गत सहभागिता करने वाले साहित्य मनीषियों में
सीता चौहान पवन जी ग्वालियर कार्यक्रम संयोजक
मेजर डॉ ज्योति उपाध्याय जी वरिष्ठ साहित्यकार एवं NCC अधिकारी
कवयित्री विजया ठाकुर जी रायपुर छत्तीसगढ़
वरिष्ठ कवयित्री डॉ रश्मि चौधरी जी ग्वालियर
वरिष्ठ कवयित्री डॉ.कृष्णा सिंह जी ग्वालियर
डॉ रत्नेश्वर सिंह जी ने द्वारा सामाजिक दर्पण सोशल मिरर के लगातार बढ़ते हुए कदम । पिछले दिनों विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर साप्ताहिक कार्यक्रम, अंतरराष्ट्रीय मद्द निषेध दिवस पर एक महत्वपूर्ण और सार्थक परिचर्चा तथा आज चलो गांव की ओर पर आधारित विदुषी कवियित्रियों के द्वारा अत्यंत सुंदर और वैचारिक स्तर पर परिपक्व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। समृद्ध मंच की संस्थापिका आदरणीया मैडम शकुंतला तोमर जी, के निर्देशन में तथा संयोजिका आदरणीया सीता चौहान पवन जी के उत्कृष्ट संचालन में चले कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक गांव एवं उसके परिवेश से जुड़ी तमाम समस्याओं पर केंद्रित रचनाओं का पाठ किया गया प्रारंभ में विद्या की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की वंदना अत्यंत मधुर स्वर में और अनोखे अंदाज में डॉक्टर ज्योति उपाध्याय जी वरिष्ठ कवियित्री एवं एन सी सी अधिकारी ग्वालियर के द्वारा प्रस्तुत की गई अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को झूमने पर और भक्ति भावना में लीन होने को प्रेरित किया।
चलें हम गाव की उस ओर
जहां संस्कार पलते हैं
पीपल छैयां बैठ के अमियाँ
खाने वाले दिन
याद बहुत आते हैं वो गांव वाले दिन
मंच की संचालिका मैडम शकुन्तला तोमर जी ने गांव की सार्थकता को रेखांकित करती हुई बहुत सुंदर प्रस्तावना प्रस्तुत की। ग्रामीण परिवेश के साथ जोड़कर गांव के ताल तलैयों का, वहां के बाग बगीचों का, वहां के खेत खलिहानों का तथा वहां के लोगों के साथ मिलने जुलने एवं आचरण व्यवहार से एक विशेष प्रकार की सुकून और शांति मनुष्य को मिलती है, वह नैनीताल और मसूरी जाना भूल जाता है याद रहती है तो गांव अपना गांव। अपने शानदार संचालन के दौरान आदरणीया मैडम सीता चौहान ने कहा कि कवि सम्मेलन या कविता का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन का साधन मात्र नहीं है बल्कि वह समाज में घटित होने वाले विभिन्न समस्याओं एवं उसके निदान के संबंध में भी विचार विमर्श करने का साधन होना चाहिए तभी कविता की सार्थकता सिद्ध हो सकती है। इसी प्रकार डॉक्टर रश्मि चौधरी जी वरिष्ठ कवयित्री ग्वालियर ने 'वे बालू के घरोंदे,वे निशाने गुलेल के!
बहुत सुंदर सुंदर बिंबो और प्रतीकों के माध्यम से कविता को सजाकर प्रस्तुत किया जिससे समकालीन कविता का स्वरूप हमारे सामने उभर कर अनायास आ जाता है साथ ही साथ यह भी सिद्ध करने का प्रयास किया की आज की कविता को कैसे लिखा जाता है कैसे पढ़ा जाता है।
वरिष्ठ कवयित्री आदरणीया विजया ठाकुर रायपुर छत्तीसगढ़ ने भी अपनी रचनाओं से पटल पर उपस्थित सभी श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
फिर रहे हैं दर-बदर छाले सहेजे पाँव।
याद फिर आने लगे अमराईयों के गाँव। ।
इसके अतिरिक्त डॉ कृष्णा सिंह वरिष्ठ कवियित्री ग्वालियर ने भी अपनी सुंदर सार्थक सारगर्भित रचनाओं से श्रोताओं से खूब वाहवाही ली।
चलो चलते हैं गांव में
कच्ची पगडंडियों की राह में
धूल होगी तो शूल भी होंगे
पर न होगा शोर शराबा
गांव का होगा अलग नजारा।
अंत में पटल की संस्थापिका शकुन्तला तोमर जी ने सभी विदुषी कवयित्रियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें यह सोचना चाहिए बहुत शिद्दत से कि शहरीकरण के दिखावे में कहीं गांव उपेक्षित ना रह जाए क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है और इसकी आत्मा गांव में निवास करती है । एक यह भी संदेश अपने उद्बोधन उन्होंने दिया कि हमें किसी भी प्रकार अपनी जड़ों से कट कर नहीं रहना चाहिए। सामाजिक दर्पण सोशल मिरर समृद्ध पटल पर लगातार इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन से इसकी गतिशीलता में अनवरत वृद्धि होगी ऐसा मैं सोचता हूंं ।
सामाजिक दर्पण सोशल मिरर की संस्थापिका शकुन्तला तोमर जी ने पटल पर उपस्थित सभी श्रोताओं को विद्वानों को साहित्यकारों को सभी सहभागिता करने वाले साहित्यकारों अतिथियों की उपस्थिति को कोटि कोटि नमन एवं आभार व्यक्त किया साथ सभी को सहभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किये ।


0 comments:
Post a Comment