ग्वालियर ।
सामाजिक दर्पण-सोशल मिरर फाउंडेशन की संस्थापिका एवं संचालिका शकुन्तला तोमर जी ग्वालियर से है । इस पृष्ठ एवं का मुख्य उद्देश्य सामाजिक अभिव्यक्ति शिक्षा समाज साहित्य संस्कार एवं संस्कृति से संबंधित विचार एवं गतिविधियों का सृजन करना कर युवा एवं बच्चों में इनका हस्तांतरण कर जोड़ना सामाजिक मुद्दे बच्चों में युवाओं में समाज साहित्य और भाषा में रुचि संस्कृति लोक कला लोक गीत संगीत का संरक्षण तीज त्यौहार हमारी परम्परायें रीति - रिवाज एवं संस्कार निर्माण हेतु विचार और कैंपेन एवं सामाजिक परिवेश में व्याप्त समस्याओं (बच्चो स्त्री बुजुर्गों से सम्बंधित मुद्दों) पर चर्चा कोई विशेष कार्य हेतु प्रोत्साहन और सुधार समाधान हमारा लक्ष्य। साप्ताहिक आयोजन में पधारे साहित्यकारों में कवयित्री मंजू शर्मा सूरत गुजरात से, कवयित्री शोभा पाठक अलीबाग मुम्बई से, कवयित्री अर्चना द्विवेदी अयोध्या उत्तरप्रदेश से अपनी अद्भुत काव्य कौशल मधुर कण्ठ और शानदार लेखनी से सबक मन मोह लिया। कवि डी के जैन मित्तल कामा राजस्थान से, नवोदित कवयित्री शायरा गुलफ्सा इदरीसी दिल्ली से मधुर तरन्नुम में शानदार प्रस्तुति दी । कवयित्री मंजू तंवर हरियाणा से पधारीं अद्भुत शब्द संयोजन उत्कृष्ट शब्दावली में शानदार प्रस्तुति दी ।
कवयित्री प्रशंसा श्रीवास्तव जयपुर राजस्थान से अपनी ओज वाणी में शानदार अंदाज़ से सबक मन मोह लिया वीर शहीदों को समर्पित रचनाएं प्रस्तुत करते हुए वहीं बालगंगाधर तिलक एवं चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर पधारे ओज एवं राष्ट्रवादी कवि चन्दप्रकाश गुप्त ने अपनी अद्भुत शैली में एक से बढ़कर रक रचनाये सुनाई माँ भारती तेरा वैभव सदैव अमर रहे वन्देमातरम भारत माँ का यशगान अमर रहे ।
अब दरख्तों के साए में धूप खिलने लगी।
धूप और छांव का दोस्ताना हो गया।।
- गुलफ्शा इदरीसी दिल्ली
प्यार में हद से ज्यादा गुजरने लगा।
इस कदर उसपे दिन रात मरने लगा।
वो प्रबंधक बनी इश्क़ के बैंक की।
मैं मोहब्बत की किश्तों को भरने लगा।
-- डी के जैन मित्तल(राज.)
कुछ लोग सुना है हमारे कश्मीर पर, बुरी नज़र रखते हैं
कुछ गीदड़ मिलकर ,सिंहों को खाने की तमन्ना करते हैं
छुप छुप कर जो लड़ते हैं,वो बुजदिल कायर होते हैं
-चंद प्रकाश "गुप्त'अहमदाबाद
मैं कहूं व्यथा अंतर्घट की ,
धूमिल- धूल छटी अंतरपट की।
रक्त रंजित हृदय में शूलों सा,
जब आघाती भेदन होता ,
नयनों में दृगजल गागर थी ,
अंतर्मन भर क्रंदन रोता
--मंजू तँवर हरियाणा
तुम इतने खास थे की दूर जा न सके,
हम इतने थे करीब पास आ न सके,
तीखे और कड़वे दर्द जमाना देता रहा,
तुमको पाकर भी हम तुम्हे पा न सके।
--कवयित्री प्रशंसा श्रीवास्तव
जुदा है कोई अगर,तुमसे बुला लो उसको,जरा सी बात पे रूठा हो मना लो उसको।
यहाँ तो बिक रहा है,प्यार चंद सिक्कों में,तुम्हें जो चाहता है,दिल से सँभालो उसको।।
--अर्चना द्विवेदी अयोध्या
इसके साथ ही सामाजिक दर्पण-सोशल मिरर फाउंडेशन के फेसबुक पटल हमेशा सामाजिक मुद्दों पर नित्य अपनी प्रस्तुति देते हुए फिर उपस्थित आज बदलते परिवेश में मोबाइल और सोशल मीडिया की जितनी महती भूमिका है उसके साथ ही दुरुपयोग या कहें मर्यादाओं का हनन हो रहा है। फाउंडेशन द्वारा सोशल मीडिया का अमानवीयकरण विषय पर परिचर्चा मे अपने विचारों के साथ उपस्थित रहकर सारगर्भित चर्चा की । जिसमे मुख्य रूप से सहभागी रही ।
आदरणीय रीना त्रिपाठी महामंत्री भारतीय नागरिक परिषद लखनऊ, आदरणीय मृदुल मौर्य समाज सेविका और शिक्षिका लखनऊ से
आदरणीय ममता सिंह वरिष्ठ पत्रकार लखनऊ,
आदरणीय विकास त्रिपाठी वरिष्ठ पत्रकार फतेहगढ एवं आदरणीय शकुन्तला तोमर समाजसेवी ग्वालियर ने विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की । अमानवीकरणमानव द्वारा किए गए सभी कार्य जिससे मानवता आहत हो फ़ोटो, वीडियो, मैसेज,या झुठी बाते कुछ भी ऐसा जो सोशल मीडिया से फैले-
1. सोशल मीडिया का युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
2. क्या समाज के लिए सोशल मीडिया अभिशाप बनता जा रहा है।
3.क्या आज आवश्यक नही है की मीडिया के माध्यम से जागरुकता आभियान चलाया जाए,
4. एडवेंचरस फोटो खींचने की परम्परा युवकों में आ रही है क्या उचित है।
5. सोशल मीडिया से ज्यादा लगाव क्या बच्चों को मानसिक और शारीरिक रुप से बीमार कर रहे है।
6. अभिभावक आज के समय में क्या करेताकि बच्चे और समाज सही दिशा में चले।
7. सामाजिक संगठनो को समाज को जागरुक कैसे करना चाहिए कैसे रोका जा सकता है ।
सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन की संस्थापिका शकुन्तला तोमर ने पटल पर उपस्थित सभी श्रोताओं को विद्वानों को साहित्यकारों को सभी सहभागिता करने वाले साहित्यकारों अतिथियों की उपस्थिति को कोटि कोटि नमन एवं आभार व्यक्त किया ।

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