गुरु पूर्णिमा उत्सव पर समर्पण टीम लक्की हिंदुस्तानी एवं राजेश्वरी फिल्म प्रोडक्शन द्वारा कथा कार्यक्रम आयोजित हुई


 वृन्दावन के युवा धर्माचार्य गौ भक्त डॉ. संजीव कृष्ण ठाकुर महाराज जी द्वारा कथा वाचन

Tasim Ahamad - Chief Editor 

नई दिल्ली (डिंपल भाटिया)

हनी महाजन प्रथम एजेंडा गुरुपूर्णिमा के अवसर पर रोहिणी के सेक्टर-3 स्थित ऑरेंट इन (ORANTE INN) में समर्पण गौशाला परिवार एवं टीम लक्की हिंदुस्तानी द्वारा संत संजीव कृष्ण ठाकुर जी की भव्य कथा का गुरुवार 10 जुलाई 2025 को शुभारंभ हुआ। इसका आयोजन अरुण लक्की हिंदुस्तानी, राजेश्वरी सिंह और अमन परवाना की ओर से किया गया। वृन्दावन के युवा धर्माचार्य गौ भक्त डॉ. संजीव कृष्ण ठाकुर महाराज ने कथा का वाचन किया। सुबह में पूजन-अर्चना के बाद भंडारा किया गया। इसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

भागवत कथा में महाराजश्री ने बताया कि प्रभु की कथा उनकी कूपा से ही मिलती है। सनातन ही समाधान का धर्म है। कथा सुनने से ही जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है। संत संजीव कृष्ण ठाकुर जी एक प्रसिद्ध कथाकार और गौ भक्त हैं। उनका जन्म 23 दिसंबर 1984 को मथुरा के पैगांव में हुआ था। उनकी माता राधा देवी, राधारानी की अनन्य भक्त थीं, और उनका बचपन से ही गायों के प्रति बहुत प्रेम था। संजीव कृष्ण ठाकुर जी ने वृंदावन में कई गौशालाओं का निर्माण करवाया है, जहाँ बेसहारा गायों की सेवा की जाती है। एक फेसबुक पोस्ट के अनुसार वे समय पर निर्णय लेने के महत्व पर जोर देते हैं, और कहते हैं कि सही समय पर सही निर्णय न ले पाना असफलता का एक प्रमुख कारण हो सकता है। 

 संजीव कृष्ण ठाकुर जी एक प्रसिद्ध कथाकार के रूप में जाने जाते हैं, और उनके प्रवचनों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। एक यूट्यूब वीडियो के अनुसार उनके प्रवचनों का मुख्य विषय भक्ति, प्रेम, और गायों की सेवा है। तो वही गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जब प्रथम एजेंडा राष्ट्रीय दैनिक अखबार के संवाददाता हनी महाजन से बात की तो उन्होंने बताया कि राधे-राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन ॥ यह सत्य है, कि भगवान बनने की पात्रता प्रत्येक पत्थर में होती है, लेकिन ये बात भी उतनी ही सत्य है, कि बिना कुशल शिल्पकार के कोई भी पत्थर भगवान नहीं बन सकता है। जो काट-छांट कर एक पत्थर को देव मूर्ति में रूपांतरित कर सके उसी शिल्पकार को गुरु कहा जाता है। जो जीव को भ्रम से ब्रह्म की यात्रा करा दे, शिष्य को शव से शिव बना दे, बाधा से राधा तक पहुँचा दे और मृत में मूर्ति प्रतिष्ठापित करा दे यही तो सद्गुरु का गुरुत्व है। सद्गुरु की शरणागति ही जीव को अपराध से आराधना की यात्रा कराती हुई उसको कौवे से हंस बनाती है। सद्गुरु शरणागति के बिना कोई भी जीवन महान नहीं बन सकता है। भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण से लेकर जितने भी हमारे आदर्श पुरुष हुए हैं, सभी ने गुरु कृपा के बल पर ही जीवन का श्रेष्ठत्व प्राप्त किया है। निज शरणागति से गोविंद चरणों में रति प्रदान कर, हमारे मानव जीवन को सफल बनाने वाले सद्गुरु देव भगवान के श्री चरणों में बारम्बार प्रणाम है। अंत में उन्होंने श्री गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व पर सभी को शुभकामनाएं दी।




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Milan Tomic

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