दिल्ली (अनवर खान)
राजधानी दिल्ली के थाना हर्ष विहार क्षेत्र से एक बेहद गंभीर और चिंताजनक मामला सामने आया है। यहां एक पत्रकार, गौरव, ने आरोप लगाया है कि उन्हें अवैध बोरवैल माफियाओं ने घेरकर जान से मारने की कोशिश की। इससे भी गंभीर बात यह है कि पत्रकार गौरव ने स्थानीय पुलिस पर इन माफियाओं का पक्ष लेने और उनकी शिकायत पर कोई संतोषजनक कार्यवाही करने का आरोप लगाया है। गौरव का कहना है कि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दिखाए जा रहे "सबूतों" में खुद पुलिस की भी बराबर की हिस्सेदारी है। उन्होंने यहां तक दावा किया है कि यदि निष्पक्ष जांच हो, तो यह साबित हो जाएगा कि पुलिस ने ही इन माफियाओं के साथ मिलकर उन पर जानलेवा हमला करवाया। इस सनसनीखेज आरोप ने न केवल क्षेत्र में बल्कि पत्रकारिता जगत में भी खलबली मचा दी है।
पीड़ित पत्रकार गौरव ने बताया कि उन्होंने क्षेत्र में चल रहे अवैध बोरवैल के कारोबार के खिलाफ आवाज उठाई थी और इसकी जानकारी पुलिस को भी दी थी। लेकिन उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसके विपरीत, गौरव का आरोप है कि अवैध बोरवैल माफिया खुलेआम घूम रहे हैं और उन्हें लगातार धमकियां दे रहे थे। हाल ही में, कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें घेर लिया और उन पर हमला कर दिया, जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आईं। गौरव का स्पष्ट कहना है कि ये हमलावर वही अवैध बोरवैल माफिया थे जिनके खिलाफ उन्होंने शिकायत दर्ज कराई थी।
सबसे गंभीर आरोप जो गौरव ने पुलिस पर लगाया है, वह यह है कि पुलिस उनकी शिकायत पर कार्यवाही करने के बजाय, उन्हीं के खिलाफ सबूत पेश कर रही है। गौरव का कहना है कि इन "सबूतों" में खुद पुलिस भी बराबर की भागीदार है, जिसका अर्थ है कि पुलिस कहीं न कहीं अवैध गतिविधियों में शामिल है या उन्हें संरक्षण दे रही है। उन्होंने यह भी सनसनीखेज दावा किया कि यदि पुलिस ईमानदारी से इस मामले की जांच करे, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि पुलिस ने जानबूझकर माफियाओं को उकसाया और उन्हें (गौरव) पर हमला करने दिया।
इस घटना ने कानून व्यवस्था और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक पत्रकार जो समाज की आवाज बनकर अवैध गतिविधियों को उजागर करने का प्रयास कर रहा था, आज खुद जानलेवा हमले का शिकार हो गया है और उसे न्याय की उम्मीद पुलिस से कम ही नजर आ रही है। यह घटना प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा पर भी एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है। यदि पुलिस ही अपराधियों का साथ देने लगे, तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की रक्षा कौन करेगा?
स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर गहरा रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि क्षेत्र में अवैध गतिविधियां चरम पर हैं और पुलिस इन पर लगाम लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। अब जब एक पत्रकार पर जानलेवा हमला हुआ है और पुलिस पर ही मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं, तो लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था से उठने लगा है।
इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठने लगी है। यह आवश्यक है कि उच्च अधिकारी इस घटना को गंभीरता से लें और एक स्वतंत्र जांच टीम गठित करें जो पत्रकार गौरव के आरोपों की गहराई से पड़ताल करे। यदि पुलिसकर्मियों की मिलीभगत पाई जाती है, तो उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही जानी चाहिए ताकि कानून का राज कायम रह सके और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
यह घटना एक चेतावनी है कि यदि अवैध गतिविधियों और उनमें शामिल लोगों पर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। एक पत्रकार पर हमला लोकतंत्र पर हमला है, और इस मामले में पुलिस पर लगे गंभीर आरोप निश्चित रूप से चिंताजनक हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है ताकि पीड़ित पत्रकार को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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