हिन्दू-मुस्लिम कुछ नहीं - सबा खान
रमज़ान में भी समान जो अच्छा या सस्ता बेचे उसी से खरीदे ।
क्योंकि इस्लाम भेदभाव की इजाज़त नहीं देता है।
वो भी आपके इंतज़ार मे बैठे है उनके घर मे भी बच्चे परिवार है जिनका आपसे घर चलता है।
वाराणसी।
कुछ है कंटर पंथी जिन्होंने देश का माहौल खराब कर रखा है, एक तराजू मे सबको ना तौले क्योंकी कुछ राजनीती वाले माहौल खराब कर रखे है, यहाँ मुस्लिम दुकान ना लगाये, मुस्लिम से सामान न ले, पर मुस्लिम भाई ऐसा नहीं करेंगे क्योंकी इस्लाम मोहब्बत करना सिखाता है नफरत करना नहीं, और ये सच है चंद ऐसा करते है भोगना सबको पड़ता है, पर राजनीति के चक्कर में बेकसुर मारे जाते हैं, जिनको रोज कुवा खोदना पानी पीना है जिनका राजनीती से कोई लेना देना नहीं, सामान छोटी दुकानों से ले आप हिन्दू भाइयों से ताकी उनका भी घर चल सके उनके भी बच्चे आपके बच्चों की तरह शाम को घर आने का इंतजार करते हैं जैसे हमेशा चलता रहा वैसा ही चलाये ये नफरती चिंटूओ को मुंह तोड़ जवाब दे, क्या हिंदू क्या मुस्लिम जिनमे इंसानियत नहीं वो इंसान नहीं सभी मुस्लिम भाइयों से अपील है अपने हिन्दू भाइयो से समान ले खरीद फरोख्त करे, कोई नेता आपका घर का खर्च चलाने नहीं आएगा, त्यौहार आने का सभी व्यापारियों को इंतज़ार रहता है सब मिलकर रहे ईद पर अपने दोस्तों को भाइयों को सेवईया खिलाये दिवाली पर मिठाईया खाये, प्यार सिर्फ घर को नहीं समाज को भी ज़रूरत हैl अफ़सोस होता है कहा से कहा आ गये हम, हम से हम तुम कर दिए गये, क्या यही है विकास, रमजान मोहब्बत का पैगाम देता है, इस रमजान मे देश मे खुशियाँ आये देश मे इंसानियत आये सब मिलकर ईद दिवाली मनाये, भाई भाई को लड़ाने वालों के मुंह मे कालिक हो, उनकी मनसा काली हो ।
मना हिंदू बुरा है ना मुस्लिम बुरा है
जो आपस में लड़ाये हर वह इंसान बुरा हैl
मालूम न कब इंसानियत के बिच ये मजहब आ गया,
सोचकर मन उदास हो जाता है ।
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