
राजस्थान पुलिस अपनी पूर्ण श्रमता पर नवाचार की और अग्रसर
जयपुर (भानू राज टाक)
कहा जाता है की परिवर्तन ही संसार का नियम है और इसी परिपेक्ष में आमजन की सुरक्षा और सम्मान को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानकर राजस्थान पुलिस ने वृहद स्तर पर 5 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन राजधानी जयपुर स्थित जेईसीसी सभागार में किया है।
इस कार्यशाला में विभिन्न सत्रों के माध्यम से तीन कानून (आईपीसी 1860, सीआरपीसी 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872) रहे जिनमें वर्तमान स्थितियों को देखते हुए भारी सुधार किया गया है और क्रमशः नए नाम के साथ भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम है ।
इन सुधारों से पुलिस और ज्यूडिशियरी के विभिन्न अंग जैसे अभय कमांड सेंटर, घटना संबंधित थाने की भूमिका,फॉरेंसिक साइंस लैब यानी एफएसएल, मेडिको लीगल केसेस में अस्पताल की भूमिका, अभियोजन कार्यालय की भूमिका, सेशन और हाइ कोर्ट की भूमिका एवं कारागृह की भूमिका में सुधार और प्रक्रिया को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया गया।
यह प्रदर्शन आम लोगों के अवलोकन हेतु पुलिस कर्मियों द्वारा इन्हीं पांच दिनों में हर दिन बारम्बार किया जाएगा।
सभी सत्रों के बाद आम जनता एवं उपस्थित मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए अतिरिक्त महा निदेशक श्री एस सिंगाथिर ने बताया की तीनों कानून अंग्रेजों के ज़माने से प्रचलित थे और उनकी सुविधा से बनाए गए थे जिनमें भारी सुधार की आवश्यकता थी और करीब जुलाई 2023 में इनमें सुधार लाया गया।
राजस्थान पुलिस संपूर्ण रूप से इन सारे जनोपयोगी प्रावधानों को जनहित में अमल में लाने हेतु कटिबद्ध है।
नए टेक्नोलॉजी और प्रोग्राम इस प्रकार रहेंगे
NAFIS (National Automated Fingerprint Identification System) इस तकनीक के द्वारा फिंगरप्रिंट डेटाबैंक से अपराधियों की पहचान सुगम होगी।
चित्रखोजी ऐप के द्वारा चेहरा पहचानने में सुगमता आएगी। इस ऐप में अपराधियों के चेहरे सुरक्षित रूप से सेव किए जाएंगे।
आधुनिक तकनीक के द्वारा सारा डेटा और जरूरी पत्रावलियां ई मेल आदि से संबंधित अधिकारियों को स्वत चली जाएंगी। मानविक हस्तक्षेप ना के बराबर होगा।
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