( सुनील चौधरी एडवोकेट द्वारा गाजियाबाद की न्यूज़ रिपोर्ट )
गाजियाबाद के थाना भोजपुर अंतर्गत ग्राम मुरादाबाद के निवासी ओम पाल सिंह ने अपनी 15 वर्ष भतीजी को रॉबिन निवासी ग्राम चिरचिटा थाना सिंघावली जिला बागपत के द्वारा बहला फुसला कर भगा ले जाने के मामले में दर्ज एफ आर में आरोपी याची रोबिन कुमार को जेल जाने पर जमानत हेतु हाइकोर्ट में सुनवाई हुई ।
याची की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने माननीय न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के समक्ष दलील दिया कि घटना के 5 दिन के बाद एफ. आई.आर. दर्ज हुई है। पीड़िता ने अपने 161 व 164 के बयान में कहा की याची को इंस्टाग्राम से एक साल से जानती है ।आधार कार्ड में दिए गए जन्मतिथि के अनुसार पीड़िता की उम्र साडे 18 साल है ।वह कक्षा 8 तक पढ़ी है ।दिनांक 29- 1 -2024 को घर से बिना बताए दिल्ली में कालिका जी मंदिर गई जहां पर उसने ही यांची को फोन कर बुलाया था ।आर्य समाज मंदिर में शादी करने के उपरांत पति-पत्नी की तरह रहने लगे। शादी हम दोनों ने अपनी मर्जी से की है और याची के साथ रहना चाहती है।आधार कार्ड में दी गई जन्मतिथि के आधार पर पीड़िता बालिग व याची जिसकी उम्र 22 साल होने के पर आर्य समाज मंदिर ,दिल्ली में जाकर शादी कर सर्टिफिकेट प्राप्त किया है।
याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि याची व पीड़िता दोनों पति-पत्नी है पीड़िता के घर वाले शादी से राजी नहीं थे। विवेचना अधिकारी ने लीविंग सर्टिफिकेट व रजिस्टर में अंकित जन्मतिथि के अनुसार पीड़िता को नाबालिग मानते हुए रेप व पॉक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं में चार्ज शीट दाखिल किया है ।जबकि विवेचना अधिकारी ने कक्षा 8 के किसी भी अभिलेख का अवलोकन नहीं किया और सुप्रीम कोर्ट के जजमेन्ट को बताते हुए तर्क दिया कि ट्रांसफर सर्टिफिकेट व एडमिशन रजिस्टर के आधार पर पीड़िता की उम्र तय नही की जा सकती।पीड़िता ने मेडिकल कराने से इनकार कर दिया और पीड़िता के उम्र का कोई भी मेडिकल जांच नही हुई।
अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध किया कहा कि अपराध गंभीर किस्म का है। पीड़िता के शारीरिक संबंध होने के कारण गर्भवती होने पर बाल कल्याण समिति ,गाजियाबाद के आदेश पर गर्भपात भी कराया गया।
याची के अधिवक्ता ने बताया कि याची के जेल में रहने के दौरान पीड़िता ने याची की सलामती व लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का ब्रत भी रखा था। जिसकी फ़ोटो पीड़िता ने इंस्टाग्राम के माध्यम से अपनी नंद को फोटो भेजा जिसको जमानत प्रार्थना पत्र में अंकित किया गया है।
याची की दलीलों के आधार पर हाई कोर्ट ने याची की जमानत याचिका को शर्तो के साथ स्वीकार कर लिया।
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